छत्तीसगढ़ को तीरंदाजी में दिलाएंगे नया मुकाम, नवा रायपुर में बनेगी अत्याधुनिक राष्ट्रीय तीरंदाजी अकादमी
छत्तीसगढ़ प्रदेश, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में तीरंदाजी (Archery) का खेल लंबे समय से परंपरा और संस्कृति का हिस्सा रहा है। गांवों में तीर-कमान चलाना केवल खेल नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है। यही कारण है कि जब यह खेल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा, तो छत्तीसगढ़ के आदिवासी खिलाड़ी इसमें पीछे नहीं रहे।
राज्य के कई युवा खिलाड़ियों ने राज्य और देश का नाम रोशन किया है। इन खिलाड़ियों को और बेहतर प्रशिक्षण, संसाधन और मंच देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बहुत बड़ी पहल की है।
नवा रायपुर में बनेगी राष्ट्रीय तीरंदाजी अकादमी
राज्य सरकार अब नवा रायपुर (अटल नगर) में राष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक तीरंदाजी अकादमी की स्थापना करने जा रही है। इस अकादमी की घोषणा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने की है।
सरकार का उद्देश्य है कि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अपने ही राज्य में बेहतर कोचिंग, सुविधा और प्रशिक्षण मिले ताकि वे देश और विदेश में मुकाबला कर सकें।
क्यों ज़रूरी है तीरंदाजी अकादमी?
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छत्तीसगढ़ के अनेक आदिवासी अंचलों में तीरंदाजी एक पारंपरिक खेल है।
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वर्षों से ग्रामीण और आदिवासी युवक-युवतियां तीरंदाजी में दक्षता रखते हैं।
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कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया है।
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अब ज़रूरत है कि उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण, कोचिंग, उपकरण और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
कहां बन रही है अकादमी?
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अकादमी नवा रायपुर अटल नगर के सेक्टर-33 के ग्राम उपरवारा क्षेत्र में बनेगी।
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नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने इसके लिए लगभग 10.03 एकड़ (40,614.216 वर्ग मीटर) ज़मीन आवंटित करने का प्रस्ताव बनाया है।
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यह जमीन खेल एवं युवा कल्याण विभाग को दी जाएगी।
️ 90 साल की लीज पर मिलेगी जमीन
सरकार की योजना के अनुसार, यह ज़मीन खेल एवं युवा कल्याण विभाग को 90 वर्षों की लीज पर सौंपी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि विभाग इस लंबे समय तक अकादमी को अच्छी तरह चला सके।
️ क्या-क्या सुविधाएं होंगी इस तीरंदाजी अकादमी में?
एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC) इस अकादमी के निर्माण में सहयोग करेगा। वह अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) योजना के तहत इसमें निवेश करेगा।
अकादमी में ये प्रमुख सुविधाएं होंगी:
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आउटडोर तीरंदाजी रेंज – खुली जगह पर अभ्यास के लिए।
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एयर कंडीशन्ड इनडोर तीरंदाजी रेंज – गर्मी, बरसात या सर्दी में बिना रुकावट अभ्यास के लिए।
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हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग सेंटर – आधुनिक तकनीक से प्रशिक्षण।
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️ छात्रावास (हॉस्टल) – खिलाड़ियों के रहने की उत्तम व्यवस्था।
️ मुख्यमंत्री का बयान – तीरंदाजी में एक नई पहचान मिलेगी
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस निर्णय को राज्य के लिए “खेलों के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम” बताया। उन्होंने कहा:
“यह अकादमी केवल छत्तीसगढ़ नहीं, बल्कि पूरे भारत के खिलाड़ियों के लिए एक उत्कृष्ट प्रशिक्षण केंद्र बनेगी। नवा रायपुर को खेलों के क्षेत्र में नई पहचान मिलेगी और हमारे युवा खिलाड़ी भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झंडा गाड़ेंगे।”
अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य, स्थानीय प्रतिभा
यह अकादमी केवल स्थानीय स्तर की नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होगी। राज्य सरकार की योजना है कि यहां के खिलाड़ी ओलंपिक, एशियाई खेल और अन्य बड़े टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व करें।
क्या इससे आदिवासी खिलाड़ियों को फायदा होगा?
बिल्कुल!
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छत्तीसगढ़ के बस्तर, सरगुजा, कांकेर, कोरबा जैसे आदिवासी जिलों में तीरंदाजी खेल की जड़ें गहरी हैं।
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इन क्षेत्रों के बच्चे कम संसाधनों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करते आए हैं।
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जब उन्हें सर्वोत्तम सुविधाएं, अनुभवी कोच, अच्छा भोजन और वैज्ञानिक प्रशिक्षण मिलेगा, तो वे और बेहतर बनेंगे।
भविष्य की सोच – राज्य को बनेगा ‘Archery Hub’
अगर यह अकादमी सफल रही तो छत्तीसगढ़ देश में Archery Hub बन सकता है। राज्य के दूसरे हिस्सों में भी अंचल-स्तरीय तीरंदाजी केंद्र खोले जा सकते हैं। इससे हजारों युवाओं को रोज़गार और खेल में करियर बनाने का मौका मिलेगा।
✅ मुख्य बातें (हाइलाइट्स):
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छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय तीरंदाजी अकादमी बनेगी, खासकर आदिवासी खिलाड़ियों को मिलेगा मंच।
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नवा रायपुर सेक्टर-33, ग्राम उपरवारा में बनेगी यह अकादमी।
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️ सरकार ने 10.03 एकड़ जमीन 90 साल की लीज पर दी है।
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NTPC CSR फंड से निर्माण किया जाएगा।
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अकादमी में इनडोर-आउटडोर रेंज, हाई परफॉर्मेंस सेंटर और हॉस्टल की सुविधा होगी।
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️ मुख्यमंत्री का बयान – “नवा रायपुर को मिलेगा नया खेल पहचान”।
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आदिवासी युवाओं को खेल के जरिए नया भविष्य मिलेगा।
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राज्य को भविष्य में Archery Hub बनाने का सपना।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल एक सकारात्मक दिशा में बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि राज्य अब केवल शिक्षा या उद्योग ही नहीं, बल्कि खेलों में भी अग्रणी बनने की ओर बढ़ रहा है। जब आदिवासी प्रतिभा को ऐसा मंच मिलेगा, तो ना सिर्फ राज्य को सम्मान मिलेगा, बल्कि उन हजारों बच्चों के सपनों को भी उड़ान मिलेगी, जो अब तक संसाधनों की कमी से पीछे रह जाते थे।