भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी : मुआवजा डकारने का ऐसा खेल…हाथ से लिखे बी-1 से कर दिए जमीन के टुकड़े

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रायपुर। हैरानी का विषय यहीं समाप्त नहीं होता, जिन खातेदारों के नाम खाते का विभाजन किया गया, उनकी उम्र और खाता विभाजन के दिनांक का विवरण भी दर्ज नहीं किया गया है। खास बात यह भी कि तमाम कारनामों को अंजाम भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर विशाखापट्टनम एक्सप्रेस वे की अधिसूचना जारी होने के महीनेभर के भीतर दिया गया। हरिभूमि को मिली पांच सौ पन्नों की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। सिर्फ टोकरो ही नहीं, नियमों को दरकिनार कर खाता विभाजन नायकबांधा, सातपारा से लेकर झांकी तक किया गया। टोकरो के मामले में जिन पक्षकारों के खाते का विभाजन हुआ है, उन्होंने अपने शपथपूर्वक कथन में स्वीकार किया है कि खाते के बंटवारे के लिए कभी कोर्ट में पेश ही नहीं हुए।

हाथ से बना दिया बी-1 का पेपर 
कम्प्यूटर और लैपटॉप के युग में हाथ से लिखे बी-1 का मामला भी अचरज में डालता है। ग्राम टोकरो में की गई गड़बड़ी के संबंध में प्रस्तुत जांच रिपोर्ट से पता चलता है पटवारी ने दिनांक का उल्लेख किए बगैर हाथ से लिखा हुआ बी-1 प्रस्तुत कर दिया। जबकि खासा विभाजन के लिए ऑनलाइन और डिजिटल हस्ताक्षरित बी-1 फार्म संलग्न किया जाना था। इस तरह तमाम नियमों को दरकिनार कर दिया गया। 

Bharatmala Project Irregularities

इसलिए उम्र और दिनांक दर्ज नहीं 
खाता विभाजन से लेकर नामांतरण और रजिस्ट्री के प्रकरण में उम्र और दिनांक का उल्लेख करना जरूरी होता है। चूंकि टोकरो में पटवारी हल्का नंबर 24 में जिन खातेदारों के नाम खाते का विभाजन किया जाना था, उनमें कुछ कम उम्र के बच्चे भी थे। इसलिए उम्र का उल्लेख नहीं किया गया। चूंकि यह कारनामा अधिसूचना जारी होने के बाद किया गया, इसलिए जिम्मेदारों ने तारीख डालना भी मुनासिब नहीं समझा। 

ईओडब्ल्यू जुटा रही तथ्य 
राज्य सरकार ने भारतमाला प्रोजेक्ट में जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू ने प्रकरण से जुड़े दस्तावेजों के लिए शासन से संपर्क किया है। जल्द ही भारतमाला प्रोजेक्ट की जांच ईओडब्ल्यू शुरु कर सकती है। जांच में तेजी आने के साथ ही यह तय है कि प्रकरण में जिनकी भूमिका संदिग्ध है, उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी।

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