दर्दनाक हादसा: तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने मासूम बच्ची और उसकी मां को कुचला, 3 गंभीर घायल
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के जेवरा सिरसा थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है।
यहां के बेलौदी मालूद गांव में सोमवार रात एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने घर के बाहर बैठी महिलाओं और बच्चों को कुचल दिया।
इस हादसे में 8 साल की एक बच्ची और उसकी 55 वर्षीय मां की मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
हादसे के बाद ग्रामीणों ने गुस्से में आकर चक्काजाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।
पीड़ित परिवार का परिचय और घटना का समय
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मृतक बच्ची का नाम था संतोषी निषाद, और उसकी मां का नाम सरस्वती देशमुख था।
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यह हादसा सोमवार रात करीब 9 बजे हुआ, जब गर्मी की वजह से गांव के कुछ लोग रात का खाना खाने के बाद घर के बाहर बैठकर ठंडी हवा ले रहे थे।
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इसी दौरान, एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर सीधा लोगों के ऊपर चढ़ गया।
घटनास्थल: बेलौदी मालूद गांव
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यह गांव दुर्ग जिले के जेवरा सिरसा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
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गांव के लोग आमतौर पर गर्मी के मौसम में घर के बाहर बैठते हैं क्योंकि दिन भर की तपन के बाद रात को थोड़ी राहत मिलती है।
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ट्रैक्टर की स्पीड इतनी तेज थी कि उसने वहां बैठे लोगों को समझने और बचने का मौका तक नहीं दिया।
घायल लोगों का इलाज जारी, हालत गंभीर
इस हादसे में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं:
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राही बाई पारकर (46 साल) – इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।
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राजकुमारी (उम्र की जानकारी नहीं मिली) – ये भी जिला अस्पताल में भर्ती हैं।
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दोपांशी (2 साल की मासूम बच्ची) – हालत गंभीर होने पर उसे यशोधरा अस्पताल रेफर किया गया है।
वहीं, संतोषी और सरस्वती के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मॉर्चुरी में रखा गया है।
गांव में पसरा मातम और भीड़ का जमावड़ा
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हादसे के बाद मृतकों के घर में कोहराम मचा हुआ है।
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गांव के लोग बड़ी संख्या में पीड़ित परिवार के घर पहुंच रहे हैं, सांत्वना देने और मदद करने के लिए।
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पूरे गांव में गहरी उदासी और गुस्सा का माहौल है।
लोगों का फूटा गुस्सा: चक्काजाम और विरोध प्रदर्शन
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हादसे के तुरंत बाद गुस्साए गांववालों ने रात में ही मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर दिया।
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सड़क के दोनों ओर गाड़ियां फंस गईं और लोगों ने “प्रशासन मुर्दाबाद”, “मुआवजा दो”, जैसे नारे लगाए।
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पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को शांत कराने की कोशिश की।
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परंतु, मंगलवार सुबह 10 बजे ग्रामीणों ने दोबारा चक्काजाम कर दिया, इस बार मुआवजे की मांग को लेकर।
⚖️ प्रशासन का आश्वासन और चक्काजाम का अंत
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पुलिस और प्रशासन की ओर से पीड़ितों को जल्द मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया।
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इसके बाद ग्रामीणों ने चक्काजाम खत्म कर दिया, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि समय पर सहायता नहीं मिली, तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा।
ट्रैक्टर चालक के खिलाफ कार्रवाई का सवाल
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अब तक यह साफ नहीं है कि ट्रैक्टर किसका था और कौन चला रहा था।
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ग्रामीणों की मांग है कि ड्राइवर की पहचान की जाए और उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
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कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गांव में अक्सर लोग बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाते हैं, और प्रशासन आंख मूंदे रहता है।
हादसे के पीछे की संभावित वजहें
ग्रामीणों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे की संभावित वजहें:
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तेज रफ्तार से चल रहा ट्रैक्टर
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ड्राइवर का वाहन पर नियंत्रण खो देना
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शायद ड्राइवर नशे में था (हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है)
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रात में सड़क पर रोशनी की कमी और ट्रैक्टर की हेडलाइट बंद होना
ग्रामीणों की मांगें
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पीड़ित परिवार को उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाए।
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ट्रैक्टर चालक की तुरंत गिरफ्तारी की जाए।
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गांव में रफ्तार नियंत्रण के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं।
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रात में गांव की गलियों में स्ट्रीट लाइट लगाई जाए।
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गांवों में बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर सख्त कार्रवाई हो।
संबंधित खबर: तांदुला नदी में डूबे दो युवक
इसी दौरान, दुर्ग जिले से एक और दुखद खबर आई है।
तांदुला नहर में दो दोस्त डूब गए। ये दोनों युवक नया रायपुर मंत्रालय में कार्यरत थे।
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घटना 14 अप्रैल की है, जब तीन दोस्त बिलाई माता मंदिर दर्शन के लिए धमतरी गए थे।
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लौटते वक्त उन्होंने नहर के किनारे पानी का तेज बहाव देखकर उसमें उतरने का निर्णय लिया।
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लेकिन पानी के तेज बहाव में संतुलन खो बैठने से दो युवक 15 फीट गहराई में डूब गए।
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36 घंटे की तलाश के बाद दोनों शव मिले।
निष्कर्ष: ग्रामीणों की सुरक्षा अब जरूरी
दुर्ग जिले की ये दो घटनाएं दर्शाती हैं कि गांवों में सड़क और जल सुरक्षा दोनों पर गंभीर ध्यान देने की जरूरत है।
हादसों के पीछे चाहे लापरवाही हो या प्रशासन की अनदेखी, जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई और सुधारात्मक कदम उठाना अनिवार्य है।
️ आम जनता के लिए संदेश
यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, तो:
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तेज रफ्तार वाहनों से दूरी बनाए रखें
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बिना लाइसेंस के वाहन न चलाएं और न किसी को चलाने दें
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रात में सड़कों पर बैठने से बचें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को
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हादसों के मामले में प्रशासन पर दबाव डालें, परंतु शांति बनाए रखें
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ग्रामीण सड़क सुरक्षा समितियां बनाएं, जिससे निगरानी बनी रहे