भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग 6 दिसंबर से 8 दिसंबर, 2023 तक चलने वाली है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास, मीटिंग के लिए चर्चा का नेतृत्व करेंगे और 8 दिसंबर की सुबह 10 बजे मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी देंगे।
RBI इस मीटिंग में ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला ले सकता है। RBI ने अक्टूबर में लगातार चौथी बार ब्याज दरों को 6.5% पर जस का तस रखा था। आखिरी बार उसने फरवरी 2023 में रेपो रेट बढ़ाकर 6.5% की थी। तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी। वहीं पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ाई गई थी। RBI की MPC में छह सदस्य होते हैं। इसमें बाहरी और RBI अधिकारी दोनों होते हैं।
गवर्नर दास के साथ, RBI के अधिकारी राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, और माइकल देबब्रत पात्रा, डिप्टी गवर्नर के रूप में कार्यरत हैं। जबकि शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं।
महंगाई को 2-6% के बीच रखने का लक्ष्य
MPC की प्राथमिक जिम्मेदारी ब्याज दरें निर्धारित करना है। ब्याज दरों को इस आधार पर तय किया जाता है कि ग्रोथ के ऑब्जेक्टिव भी पूरे हो जाए और महंगाई भी कंट्रोल में रहे। RBI का महंगाई का लक्ष्य इसे 2-6% के बीच रखने का है।
महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है रेपो रेट
RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा।
बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।
इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।
इसे उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।
RBI ने महंगाई और GDP अनुमान भी जारी किया था
- RBI गवर्नर ने अक्टूबर में हुई मीटिंग में महंगाई अनुमान और GDP अनुमान भी जारी किया था। FY24 के लिए महंगाई अनुमान को 5.4% पर बरकरार रखा था।
- FY24 में रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है। वहीं FY25 की पहली तिमाही के लिए भी रियल GDP अनुमान 6.6% पर बरकरार रखा है।
जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?
1. अगस्त में रिटेल महंगाई 6.83%
सब्जियों के दाम घटने से अक्टूबर में रिटेल महंगाई घटकर 4.87% पर आ गई है। यह रिटेल महंगाई का 5 महीने का निचला स्तर है। सितंबर में ये 5.02% रही थी। वहीं खाने-पीने की चीजों की महंगाई 6.62% से कम होकर 6.61% पर आ गई है।
2. थोक महंगाई दर -0.52% रही थी
खाने-पीने के सामानों में गिरावट के बीच अक्टूबर महीने में भारत की थोक महंगाई दर घटकर -0.52% पर आ गई थी। यह लगातार सातवां महीना था जब थोक महंगाई शून्य से नीचे रही थी। इससे पहले सितंबर में थोक महंगाई -0.26% थी। वहीं अगस्त में यह -0.52% थी।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।