स्मार्ट सिटी ने पिछले एक दशक में राजधानी को स्मार्ट बनाने के लिए 312 प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। इनमें से 301 पूरे हो चुके हैं। 117 को संबंधित विभागों को हैंडओवर भी किया जा चुका। जबकि 184 अभी भी स्मार्ट सिटी के पास हैं। इनके मेंटेनेंस का कोई सिस्टम बनाना तो दूर संबंधित विभागों को हैंडओवर भी नहीं किया गया है। इनमें सबसे बड़ा आईटीएमएस प्रोजेक्ट है। इसके तहत चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। अब ये कैमरे ट्रैफिक सिस्टम कंट्रोल करने के साथ अपराधिक घटनाओं की निगरानी में काम आ रहे हैं। इस प्रोजेक्ट पर स्मार्ट सिटी ने सबसे ज्यादा करीब 209 करोड़ रुपए खर्च किए।
लेकिन ये तय कि इतने बड़े आईटीएमएस सेटअप को किसे हैंडओवर किया जाए? पुलिस विभाग इसका संचालन करेगा या नगर निगम। चूंकि इसके मेंटेनेंस और संचालन में खर्च आएगा। इसलिए उलझन बनी हुई है। रायपुर स्मार्ट सिटी ने मुख्य रूप से संपत्ति बनाने वाली एजेंसी के रूप में ज्यादा काम किया है।
सीमित समय की योजना होने के कारण स्मार्ट सिटी को डेवलपमेंट के काम करने थे। केंद्र और राज्य से फंड मिलने के कारण बजट की कमी नहीं हुई। इस वजह से स्मार्ट सिटी ने ढेरों ऐसे प्रोजेक्ट्स बनाए, जो उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन प्रोजेक्ट बनाने के बाद इसके संचालन की कोई व्यवस्था नहीं की है। इस वजह से कई प्रोजेक्ट्स का अस्तित्व ही खत्म हो गया।
7 करोड़ में बनाई बापू की कुटिया उजड़ी 2018 में रायपुर स्मार्ट सिटी ने शहर में 50 जगहों पर बापू की कुटिया बनाने का प्लान तैयार किया था। दो साल में सिर्फ 22 जगहों पर बापू की कुटिया बना पाए। उद्देश्य था कि शहर के गार्डन, सार्वजनिक जगहों पर बुजुर्गों के बैठने और मनोरंजन के लिए एक जगह मिले। इसमें मनोरंजन के लिए टीवी, कैरम, चेक, एसी, फ्रीज, कुर्सी-टेबल, सभी तरह के न्यूज पेपर रखने की योजना बनाई। इसे डेवलप करने पर करीब सात करोड़ रुपए खर्च किए। बनाने के बाद संचालन के लिए कोई एजेंसी तय नहीं कर पाई। एक-दो बार कोशिश हुई कि स्थानीय समितियां या कालोनी के लोग संचालन करें।
इन प्रोजेक्ट्स को दिया गया हैंडओवर स्मार्ट सिटी ने मुख्य रूप से टाउन हाल, शहीद स्मारक, नालंदा परिसर, कटोरा तालाब, तेलीबांधा तालाब, स्मार्ट रोड, अंडरग्राउंड केबलिंग, आत्मानंद स्कूल के अलावा सौंदर्यीकरण के ज्यादातर प्रोजेक्ट जिनमें नरैया तालाब, आनंद समाज लाइब्रेरी, वॉटर एटीएम, जवाहर मार्केट इत्यादि शामिल हैं।
सरकार निर्णय ले
301 प्रोजेक्ट्स स्मार्ट सिटी ने पूरे हो चुके हैं। इनमें से 117 को संबंधित विभिन्न विभागों को हैंडओवर किया जा चुका है। बाकी भी जल्द विभागों को हस्तांतरित किए जाएंगे। संचालन व मेंटनेंस संबंधित विभाग करेंगे। स्मार्ट सिटी तो सिर्फ निर्माण एजेंसी है। आईटीएमएस पर सरकार निर्णय लेगी। विश्वदीप, कमिश्नर रायपुर नगर निगम