छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के अंतर्गत आने वाले भिलाई चरोदा नगर निगम के महापौर निर्मल कोसरे पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। इन आरोपों के चलते क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। लोगों में आक्रोश है और अब इसका विरोध खुलकर सड़कों पर दिखने लगा है।
इसी क्रम में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की भिलाई-3 मंडल इकाई ने नगर पालिका कार्यालय का घेराव कर महापौर के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने महापौर का पुतला फूंककर अपने गुस्से का इज़हार किया और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की।
भाजयुमो का विरोध प्रदर्शन – कैसे हुआ आयोजन
सोमवार को युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री उपकार चंद्राकर के नेतृत्व में जन आक्रोश रैली निकाली गई। इस रैली का उद्देश्य था भिलाई चरोदा नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता का गुस्सा जाहिर करना।
रैली के दौरान कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के प्रतीक के रूप में महापौर निर्मल कोसरे का पुतला तैयार किया और उसे “भ्रष्टाचार रूपी राक्षस” कहकर जलाया गया। उनका कहना था कि निगम में पारदर्शिता की भारी कमी है और जनप्रतिनिधियों की बजाय निजी लाभ के लिए फैसले लिए जा रहे हैं।
नारेबाजी और पुतला दहन – गुस्से की भाषा
भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारे लगाए जैसे:
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“महापौर होश में आओ!”
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“भ्रष्टाचार बंद करो!”
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“कांग्रेस सरकार मुर्दाबाद!”
इस विरोध प्रदर्शन में प्रमुख रूप से उपस्थित थे:
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भाजयुमो प्रदेश महामंत्री उपकार चंद्राकर
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भाजपा जिला महामंत्री प्रेमलाल साहू
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भाजयुमो भिलाई जिला अध्यक्ष अमित मिश्रा
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तथा बड़ी संख्या में भाजयुमो कार्यकर्ता और पदाधिकारी
महापौर के खिलाफ पहले भी उठ चुके हैं सवाल
महापौर निर्मल कोसरे के खिलाफ यह पहली बार विरोध नहीं हुआ है। वे जब से महापौर बने हैं, तब से ही विवादों में घिरे रहे हैं। इससे पहले भी भाजपा पार्षदों ने कई मौकों पर उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पांच महीने पहले, भिलाई-3 में एक बजरंग दल के कार्यकर्ता की पिटाई के बाद यह मामला और गरमा गया था। भाजपा पार्षदों ने आरोप लगाया था कि इस पिटाई में महापौर निर्मल कोसरे, सभापति कृष्णा चंद्राकर और उनके सात पार्षद शामिल थे।
अविश्वास प्रस्ताव और लिखित शिकायत
घटना के बाद भाजपा पार्षदों ने महापौर और सभापति को उनके पदों से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी। उन्होंने इस संबंध में कमिश्नर दुर्ग को बाकायदा पत्र भी लिखा था।
पत्र में कहा गया था कि जिस प्रकार से भिलाई नगर निगम में नियमों की अनदेखी हो रही है, उससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दूसरे पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, तो महापौर और सभापति के खिलाफ क्यों नहीं?
जनता में नाराज़गी – भरोसा टूटने जैसा माहौल
स्थानीय नागरिकों में भी इस पूरे मामले को लेकर भारी नाराज़गी है। उनका कहना है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार के चलते विकास कार्य ठप हो गए हैं।
कुछ प्रमुख शिकायतें जो सामने आईं:
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नगर निगम के बजट का पारदर्शी इस्तेमाल नहीं हो रहा।
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सफाई, जल आपूर्ति, सड़क मरम्मत जैसे मूलभूत कार्य भी लापरवाही का शिकार हैं।
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निविदाओं और निर्माण कार्यों में रिश्वतखोरी की आशंका जताई गई है।
राजनीतिक प्रभाव – कांग्रेस बनाम भाजपा का टकराव
इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है। महापौर कांग्रेस पार्टी से हैं, और विरोध करने वाले भाजयुमो व भाजपा के कार्यकर्ता हैं। ऐसे में यह आंदोलन आगामी चुनावों की रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है।
भाजपा कार्यकर्ताओं का दावा है कि वे जनता की आवाज़ को दबने नहीं देंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।
वहीं कांग्रेस पक्ष से अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
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भाजपा पार्षदों की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह देखना बाकी है।
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महापौर और सभापति को लेकर अगर शासन स्तर पर शिकायतों की जांच होती है, तो भविष्य में बड़ा राजनीतिक उलटफेर संभव है।
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जनता के हितों की रक्षा के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
निष्कर्ष – भ्रष्टाचार के खिलाफ जनसंघर्ष की मिसाल
भिलाई चरोदा में जो विरोध प्रदर्शन हुआ, वह केवल एक महापौर के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआक्रोश की बानगी है। जब जनता का प्रतिनिधि ही सवालों के घेरे में हो, तो जनता का भरोसा टूटता है।
इसलिए जरूरी है कि शासन और प्रशासन ऐसे मामलों में सख्ती से पेश आएं और दोषियों को जवाबदेह बनाएं। आम लोगों को भी सतर्क रहना चाहिए और जनप्रतिनिधियों से जवाब मांगने की हिम्मत दिखानी चाहिए।