दुर्ग में नकली नोट चलाने वाला आरोपी गिरफ्तार, 12 हजार के जाली नोट जब्त

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ एक व्यक्ति को नकली नोट चलाते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने आरोपी के पास से ₹12,000 की जाली करेंसी बरामद की है।

इस घटना ने शहर में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि इससे यह साफ होता है कि नकली नोटों का नेटवर्क आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी तक पहुंच चुका है।


कहानी की शुरुआत – बेकरी से पुलिस तक

यह मामला 19 अप्रैल 2025 को सामने आया जब पुरानी भिलाई पुलिस को सूचना मिली कि चरोदा स्थित जलाराम बेकरी में एक व्यक्ति ने नकली नोट से ठगी की कोशिश की है। बेकरी के संचालक विवेक कुलश्रेष्ठ ने पुलिस को बताया कि नरेंद्र सिंह नाम के युवक ने उनके दुकान से कुछ सामान खरीदा और बदले में ₹500 का नकली नोट दिया।

पुलिस सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची और नरेंद्र को तुरंत हिरासत में लिया गया। जब उसकी तलाशी ली गई, तो उसके पास से ₹500 के 18 नकली नोट और ₹200 के 11 नकली नोट बरामद हुए।


कैसे मिला नकली नोटों का बंडल? आरोपी का दावा

पुलिस जब आरोपी से पूछताछ करने लगी तो उसने बताया कि 5-6 दिन पहले, वह भाठागांव बस स्टैंड गया था। वहां उसने झाड़ियों में पड़े एक बंडल को देखा, जिसमें नकली नोट थे।

उसने पहले तो इन्हें घर में रख लिया, लेकिन फिर बाद में लालच में आकर इन नोटों को दुकानों में चलाने की कोशिश की। उसने बताया कि उसे लगा कि अगर दुकानदार नोट को जांचे बिना ले लेते हैं, तो वह आसानी से नकली नोट बाजार में चला सकता है।


पहली बार में हो गई ठगी सफल – हिम्मत बढ़ी

15 अप्रैल 2025 को नरेंद्र पहली बार जलाराम बेकरी पहुंचा। उसने वहां से कुछ सामान खरीदा और बदले में ₹200 के 4 नकली नोट दिए। बेकरी संचालक ने उस समय कोई शक नहीं जताया, जिससे नरेंद्र का आत्मविश्वास और बढ़ गया।

उसे लगा कि उसके नकली नोट बाजार में चल जाएंगे। इसी कारण वह 4 दिन बाद फिर से 19 अप्रैल को रात पौने 11 बजे दोबारा उसी दुकान पर पहुंच गया। इस बार उसने ₹50 की कुल्फी खरीदी और बदले में ₹500 का नकली नोट दिया।


दुकानदार की सतर्कता ने बचा ली बाज़ार की इज्जत

हालांकि इस बार बेकरी संचालक ने उसे पहचान लिया। उसे याद आया कि यही व्यक्ति कुछ दिन पहले भी संदिग्ध व्यवहार कर रहा था। उसने देखा कि वह उसी गाड़ी और हेलमेट में आया है, जिससे वह पहले आया था।

विवेक ने तुरंत पुलिस को फोन किया और बताया कि वही नकली नोट देने वाला युवक फिर से आया है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और मौके पर पहुंचकर नरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया।


जांच में बड़ा खुलासा – बाइक में छिपे थे और नकली नोट

पुलिस ने जब नरेंद्र की तलाशी ली, तो उसकी बाइक की सीट के नीचे और जेबों से ₹200 के 11 नोट और ₹500 के 18 नकली नोट और मिले। इस तरह कुल ₹12,000 की जाली करेंसी बरामद हुई।

इन सभी नोटों को पुलिस ने जब्त कर लिया और आरोपी के खिलाफ धारा 489A, 489B, 489C और 420 के तहत मामला दर्ज किया गया।


आरोपी कौन है? जानिए उसके बारे में

नरेंद्र सिंह की उम्र 43 साल है। वह सरायपाली, महासमुंद जिले के वीरेंद्र नगर आर्ट्स कॉलेज के पीछे का रहने वाला है।

फिलहाल वह रायपुर के रामनगर इलाके में अभिषेक देवांगन के मकान में किराए पर रह रहा था। पुलिस के मुताबिक, नरेंद्र रायपुर से चरोदा सिर्फ नकली नोट चलाने के मकसद से आया था।


नकली नोटों की समस्या कितनी गंभीर?

भारत में नकली नोटों का चलन एक गंभीर अपराध है। यह न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आम नागरिकों के भरोसे को भी तोड़ता है।

नकली नोट अगर बाजार में चलने लगें तो असली और नकली में फर्क कर पाना आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि नकली करेंसी का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ होता है।


पुलिस की भूमिका – तत्परता से पकड़ा आरोपी

इस पूरे मामले में पुरानी भिलाई पुलिस की तत्परता की तारीफ करनी चाहिए।

  • समय पर सूचना मिलने के बाद तत्काल पहुंचकर गिरफ्तारी की गई।

  • आरोपी की तलाशी और बाइक की जांच कर पूरी नकली करेंसी बरामद की गई।

  • आरोपी को न्यायिक रिमांड में भेज दिया गया है।

अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित है या इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह भी काम कर रहा है।


जनता को क्या करना चाहिए? सावधानी बरतना जरूरी

इस घटना से एक महत्वपूर्ण सीख मिलती है कि जब भी कोई व्यक्ति सामान खरीदते समय उच्च मूल्य का नोट दे, तो दुकानदार को सतर्क रहना चाहिए।

नकली नोटों को पहचानने के कुछ सामान्य तरीके हैं:

  • नोट की गुणवत्ता को महसूस करना

  • सिक्योरिटी थ्रेड देखना

  • वॉटरमार्क की जांच करना

  • लाइट में रखकर देखने पर कई छिपे चिन्ह दिखते हैं

अगर किसी को नकली नोट दिखे या संदेह हो तो तुरंत पुलिस को सूचना देना चाहिए।


निष्कर्ष – सतर्क रहें, जागरूक रहें

दुर्ग का यह मामला दिखाता है कि आज भी कुछ लोग अपनी चालाकी से आम जनता को धोखा देने की कोशिश करते हैं। लेकिन जागरूक नागरिक और सतर्क पुलिस मिलकर ऐसे अपराधों को रोक सकते हैं।

हमें चाहिए कि हम नकली नोट जैसे मामलों में लापरवाही न बरतें, और किसी भी संदेह की स्थिति में कानून की मदद लें।

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