दुर्ग जिले में पुलिस प्रशासन की तस्वीर बदलने की शुरुआत हो चुकी है। नए नियुक्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) विजय अग्रवाल ने पदभार संभालते ही साफ कर दिया है कि वे किसी भी तरह की लापरवाही, भ्रष्टाचार या गैरकानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने पुलिस विभाग के भीतर अनुशासन और ईमानदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अपने पहले ही सप्ताह में कड़े कदम उठाए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कदम रहा पुरानी भिलाई थाना प्रभारी महेश ध्रुव को लाइन अटैच करना।
क्या है “लाइन अटैच” करना?
“लाइन अटैच” एक पुलिस विभागीय प्रक्रिया है जिसमें किसी थाना प्रभारी या पुलिसकर्मी को उनके वर्तमान कार्यस्थल से हटाकर लाइन (मुख्यालय) में भेज दिया जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब अधिकारी से कोई गंभीर चूक या लापरवाही हुई हो।
✅ मुख्य घटनाक्रम एक नज़र में:
एसएसपी विजय अग्रवाल ने कार्यभार संभालते ही स्पष्ट किया – लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी
जुए के मामले में कार्रवाई के बावजूद थाना प्रभारी को हटा दिया गया
9 जुआरियों को रंगे हाथ पकड़ा गया, लाखों की नकदी जब्त
गांजा के प्रकरण में शामिल सिपाही को भी नौकरी से निकाला गया
संभावित विभागीय जांच के संकेत मिले
घटना का विस्तार से विवरण:
जुए की गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई
दो दिन पहले पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़े जुआ गिरोह का भंडाफोड़ किया था। इस कार्रवाई में 9 लोगों को रंगे हाथों पकड़ा गया और उनके पास से लाखों रुपये की नकदी भी बरामद की गई।
इस कार्रवाई को लेकर थाना प्रभारी महेश ध्रुव खुद को सफल मान रहे थे, लेकिन एसएसपी विजय अग्रवाल का नजरिया इससे बिल्कुल अलग था।
उन्होंने साफ कहा कि अगर जुआ चल रहा था, तो इसका मतलब है कि थाना प्रभारी की निगरानी में चूक हुई है। उन्होंने इसे लापरवाही का उदाहरण मानते हुए महेश ध्रुव को तुरंत प्रभाव से लाइन अटैच कर दिया।
एसएसपी ने क्या कहा था पहली क्राइम मीटिंग में?
पदभार संभालने के बाद एसएसपी विजय अग्रवाल ने अपनी पहली अपराध समीक्षा बैठक में सभी थाना और चौकी प्रभारियों को सख्त निर्देश दिए थे।
उन्होंने कहा था:
“मुझे साफ-सुथरी और कड़ाई से कानून लागू करने वाली पुलिसिंग पसंद है। सभी गैरकानूनी काम तुरंत बंद करवाएं।”
उनका इशारा जुआ, सट्टा, गांजा, शराब की अवैध बिक्री जैसी गतिविधियों की ओर था।
गांजा प्रकरण: एक और बड़ी कार्रवाई
पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र से जुड़ा एक और गंभीर मामला सामने आया था जिसमें डायल 112 में पदस्थ आरक्षक विजय धुरंधर पर गांजे की एक बोरी छिपाने का आरोप था।
घटना 3 मार्च 2025 की है जब उसे सूचना मिली थी कि एक वाहन में गांजा ले जाया जा रहा है। उसने वाहन से गांजा बरामद तो कर लिया, लेकिन एक बोरी गांजा खुद अपने पास रख लिया और डायल 112 के चालक के साथ मिलकर उसे छुपा दिया।
इस अनैतिक कार्य के चलते तत्कालीन एसपी जितेंद्र शुक्ला ने उसे सस्पेंड किया था। एसएसपी विजय अग्रवाल ने आते ही उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है और उसके खिलाफ आगे की जांच चल रही है।
संभावित विभागीय जांच की तैयारी
सूत्रों की मानें तो एसएसपी विजय अग्रवाल ने महेश ध्रुव के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि क्या थाना क्षेत्र में अवैध गतिविधियों को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा था या फिर अधिकारियों की लापरवाही के कारण ऐसी घटनाएं हो रही थीं।
एसएसपी विजय अग्रवाल की कार्यशैली: सख्त लेकिन न्यायप्रिय
एसएसपी अग्रवाल का नजरिया साफ है – “कर्तव्य में चूक बर्दाश्त नहीं होगी।” उन्होंने विभाग को साफ संदेश दिया है कि चाहे कोई भी पद पर हो, अगर कानून के खिलाफ काम करेगा या ड्यूटी में लापरवाही बरतेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है।
उनकी प्राथमिकता है कि जनता को एक ईमानदार और भरोसेमंद पुलिस सेवा मिले। उनका कहना है कि पुलिस विभाग के भीतर सुधार तभी संभव है जब खुद पुलिसकर्मी कानून का पालन करें।
जनता को क्या संदेश मिला इस कार्रवाई से?
इस तरह की सख्त कार्रवाई से आम जनता में यह संदेश गया है कि अब पुलिस विभाग में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब थाना स्तर पर भ्रष्टाचार और अपराधों को बढ़ावा देने वालों पर अंकुश लगेगा।
वहीं पुलिस विभाग के अन्य कर्मचारियों को भी एक स्पष्ट संकेत मिल गया है कि अब लापरवाही के दिन खत्म हो चुके हैं।
✅ निष्कर्ष (Conclusion):
एसएसपी विजय अग्रवाल की ओर से की गई त्वरित कार्रवाई यह साबित करती है कि वे जिले में ईमानदार और सख्त कानून व्यवस्था लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चाहे वह एक थाना प्रभारी हो या एक आरक्षक – कानून के खिलाफ जाने वालों को अब जवाब देना होगा।
दुर्ग जिले की जनता को अब यह उम्मीद है कि आने वाले समय में अपराध पर प्रभावी नियंत्रण होगा और पुलिस विभाग की साख में सुधार आएगा।