नए नियम से बोहनी : न पटवारी न तहसीलदार, रजिस्ट्री होते ही बी-वन खसरे में मालिक का नाम

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन-जायदाद के पंजीयन के मामले में एक बड़ी पहल अब रंग ला चुकी है। सरकार ने यह व्यवस्था बनाई कि पंजीयन होने के तुरंत बाद संपत्ति खरीदने वाले के नाम पर नामांतरण हो जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत एक दिन पहले ही बलौदाबाजार जिले में एक रजिस्ट्री की गई। जैसे ही रजिस्ट्री हुई, मालिक का नाम बी-वन खसरे में दर्ज हो गया। अब नामांतरण के लिए पटवारी, तहसीलदार के पास जाने की जरूरत हमेशा के लिए खत्म हो गई है। 

अब खत्म हुई ये झंझट

यह प्रक्रिया शुरु होने से पहले नामांतरण के लिए तहसीलदार के कई चक्कर काटने के बाद चढ़ावा चढ़ाने के बाद नामांतरण होता था, लेकिन बी-वन में नाम में गलती होती थी या कर दी जाती थी, फिर इस नाम सुधरवाने के लिए कई चक्कर लगाना पड़ता था। नाम तो सुधर जाता था, लेकिन पटवारी बी-वन खसरा को डिजिटल नहीं करते थे। उसके लिए घूमना पड़ता था। पर अब सारे चक्कर का एक मिनट में समाधान हो गया है। रजिस्ट्री होते ही नामांतरण बी-वन खसरा में त्रुटि की झंझट नहीं होगी और न पटवारी से डिजिटल कराने की झंझट होगी। रजिस्ट्री के साथ सब कुछ ऑटोमेटिक होगा। नामांतरण, डिजिटल बी-वन, खसरा, नाम में कोई त्रुटि नहीं होगी।

पहले ऑटोमेटिक नामांतरण इनके नाम 

बताया गया है कि बलौदाबाजार जिले में विक्रेता राजेंद्र प्रसाद पिता काशी प्रसाद ने क्रेता प्रसन्न शुक्ला पिता प्रवीण शुक्ला ग्राम लिमही तहसील बलौदाबाजार को अपनी जमीन बेची थी। जैसे ही यह रजिस्ट्री हुई मालिक का नाम बी-वन खसरे में दर्ज हो गया। इधर नवा में दर्ज हो गया। इधर नवा रायपुर में भी एक रजिस्ट्री और नामांतरण हुआ है। श्रीमती पिटु ब्रम्हा व अन्य ने मंदिर हसौद की अपनी जमीन वेदप्रकाश सिन्हा को बेची। पंजीयन के बाद फौरन नामांतरण हुआ है। खरीदार के नाम प्रमाणपत्र भी जारी हो गया। खसरा में यह दर्ज किया गया है कि जमीन का स्वतः नामांतरण किया गया। एक और ऐसी ही रजिस्ट्री आरंग में भी हुई है। यहां विक्रेता चंद्रमणि अग्रवाल व अन्य के नाम की जमीन ओम अग्रवाल के नाम पर होने के बाद स्वतः नामांतरण हो गया। राज्य शासन इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए काफी समय से प्रयास कर रहा था। पंजीयन के बाद नामांतरण की जटिल प्रक्रिया को समाप्त करने के इरादे से सरकार ने अधिनियम में संशोधन भी किया था।

अब संपत्ति खरीदने वालों को नहीं होगी परेशानी 

राज्य में दशकों से यह व्यवस्था बनी हुई थी कि अगर कोई व्यक्ति जमीन, मकान या अन्य कोई संपत्ति खरीदता है तो उसका पंजीयन रजिस्ट्री दफ्तर यानी पंजीयन कार्यालय में किया जाता है। यहां तक की प्रक्रिया आसान है। लेकिन पंजीयन के बाद भी संपत्ति खरीदने वाला मालिक तब तक नहीं बनता है, जब तक उसके नाम पर संपत्ति का नामांतरण या प्रमाणी करण न हो। लेकिन अब नई व्यवस्था लागू होने के बाद संपत्ति खरीदने वालों को मालिक बनने में देर नहीं लगेगी।

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