छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के सबसे बड़े शिक्षा संस्थान डाइट में डीएलएड अध्यापकों ने स्वनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। यह सुंदर प्रदर्शनी प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के छात्राध्यापकों ने कार्य और व्यवसायिक शिक्षा के अंतर्गत लगाई थी। जिसका अवलोकन डाइट प्राचार्य जे के घृतलहरे, पीएसटीई प्रभारी अनिल कुमार सोनी, कार्यक्रम के संयोजक डाइट व्याख्याता थलज कुमार साहू और राजकुमार वर्मा ने किया।
इस अवसर पर डाइट बेमेतरा के प्राचार्य जे के घृतलहरे ने व्यावसायिक शिक्षा के महत्व को बताते हुए कहा कि व्यावसायिक शिक्षा वास्तव में एक कौशल विकास शिक्षा है। इसका उद्देश्य कौशल और ज्ञान का एक वांछित स्तर विकसित करना है। यह एक प्रकार से रोजगार का मार्ग प्रदान करता है।

व्यावसायिक प्रशिक्षण का महत्व
व्यावसायिक प्रशिक्षण छात्रों को स्वतंत्र होने के लिए और एक ही समय में, एक उत्पादक समुदाय बनाने का अवसर प्रदान करता है। देश के नागरिकों के आर्थिक स्तर को सुधारना, जनता को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करके बेरोजगारी को खत्म करना, इस व्यवसायिक शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है। मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना, युवाओं को विशेषज्ञ तकनीशियन के रूप में प्रशिक्षित करना है। व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार योग्य बनाने, कौशल विकास करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना है। यह शिक्षा युवाओं को स्वरोजगार के लिए भी तैयार करती है, जिससे वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।
कार्यालयीन सदस्यों ने की प्रदर्शनी की सराहना
व्यवसायिक शिक्षा के अंतर्गत मंगलवार 6 मई को सभी छात्राध्यापकों ने बहुत ही सुंदर अपने द्वारा बनाई गई उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें सोयाबीन की बड़ी, रखिया बड़ी, कद्दू बड़ी, पोंगा बड़ी, उड़द बड़ी, लौकी की बड़ी, दाल में चना दाल, मसूर दाल, तिवरा दाल, अरहर दाल, मूंग दाल, उड़द दाल, जिमीकंद, बीजों में लौकी, सेम, मटर, भिंडी, आम का आचार, नींबू का आचार, गुपचुप, समोसा, नमकीन, चिवड़ा, मिक्सर, गाठियां, भेल, मुर्रा का लड्डू, करी लड्डू, बूंदी लड्डू, सुखा बूंदी, टमाटर, आलू, प्याज, आलू का चिप्स, केले का चिप्स, मुरकू आदि को शामिल किया गया था। जिसकी सभी एकेडमिक और कार्यालयीन सदस्यों ने सराहना की।