कनक नगर का दुखड़ा : बूंद-बूंद पानी को तरसे ग्रामीण, सौर सुजला योजना फेल, ढोंढ़ी का पानी पी रहा पूरा गांव

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जल ही जीवन है यह और जल के बिना जीवन की परिकल्पना साकार नहीं हो सकती पर इस आधुनिकता के युग में आज भी कई ऐसे गांव मौजूद है जहां के लोग शुद्धपेय के लिए संघर्ष करते नजर आते है। ठीक ऐसी ही तस्वीर सूरजपुर से भी निकल कर सामने आई है जहाँ पूरा गांव शुद्ध पेयजल के लिए एक ढोंढ़ी पर निर्भर है। 

सरकार एक ओर जहां पूरे प्रदेश में सुशासन दिवस मना रही है जिसमें आम जनता की समस्या भी पहुंच  रही है और उनकी समस्या दूर हो रही है। वहीं प्रतापपुर के ग्राम पंचायत कनक नगर में लोग ढोंढ़ी के गंदा पानी पीने को मजूबर हैं पर इनका सुनने वाला कोई नहीं है। यह के लोग गंदा पानी पीकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जिससे उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, जबकि सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक नल जल योजना का विस्तार गांव-गांव में किया जा रहा है जिससे आम जनता को साफ पानी मिल सके, तो वहीं एक गांव ऐसा भी है जहां अगरिया जाति के लोग साफ पानी के बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। यहां पर पानी के लिए हैंडपंप तो है पर वह बच्चों के खेलने का काम आ रहा है सो पीस बन कर रहा गया है।  

 

गंदा पानी पीने से हो रहे बीमार 

क्रेडा विभाग ने सौर सुजला योजना के तहत सोलर प्लेट लगाकर पेयजल की व्यवस्था की थी। जिससे साफ पानी मिल सके, पर वह भी पिछले 2 सालों से खराब पड़ा है। कई बार शिकयत के बाद भी कोई सुनने वाला नही है। यह के लोग मजबूर होकर प्यास बुझाने के लिए जंगल किनारे बने ढोडी से मटमैली पानी पीकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जबकि पानी के पीने से आए दिन बच्चे बूढ़े बीमार हो जाते है। 

पानी का इंतजार कर रहे ग्रामीण

वहीं जिला पंचायत सदस्य सुरेश आयाम इस ग्राम में पहुंच  तो ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को लेकर जिला पंचायत सदस्य को घेर लिया। ग्रामीणों ने कहा कि, हम लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं 2 साल से यह योजना बंद है। विभाग के लोग पंप निकाल कर ले गए, लेकिन दोबारा नहीं आए। भीषण गर्मी में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। इसके बाद सुरेश आयाम ने अधिकारी से बात कर उसे व्यवस्थित करने की बात कही है नहीं तो आंदोलन करने की बात कही है। वहीं अब देखना होगा क्या केबिन ग्रामीणों की सरकार सुनती है और विभाग कब तक पानी के लिए सोलर पंप को बनवाती है जिससे इन ग्रामीणों को साफ पानी मिल सके। 

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