नई सुविधा:800 करोड़ में लगेंगे बायो-सीएनजी प्लांट 25 साल की लीज पर देंगे 10 एकड़ जमीन

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छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय निकायों में बायो-सीएनजी प्लांट लगाए जाएंगे। रायपुर, भिलाई समेत आठ निकायों में जमीन का ​चिन्हांकन किया जा चुका है। इन स्थानों पर बीपीसीएल और गेल 800 करोड़ का प्लांट लगाएंगे। कैबिनेट से अप्रुवल के बाद इन दोनों कंपनियों को एक रुपए वर्गमीटर में 10 एकड़ जमीन 25 साल की लीज पर दी जाएगी। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को चिट्ठी भेजी है।

दरअसल, पिछले महीने हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया था कि प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में जैव अपशिष्ट और खेतों से निकलने वाले अपशिष्ट के प्रसंस्करण के लिए बायो सीएनजी प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए रियायती लीज दर पर सरकारी जमीन दी जाएगी। इसके लिए सभी नगर निगमों को अधिकृत किया गया था।

भारत में उपयोग होने वाले सीएनजी का लगभग 46 फीसदी वर्तमान में आयात किया जाता है और सरकार का लक्ष्य बायो-सीएनजी के उत्पादन और खपत के माध्यम से इस निर्भरता को कम करना है। बायो सीएनजी, जिसे बायो कंप्रेस्ड नेचुरल गैस भी कहा जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से वाहनों के ईंधन और घरेलू ऊर्जा के रूप में किया जाता है। साथ ही सीएनजी वाहनों को ईंधन देने के लिए, एलपीजी के विकल्प के रूप में खाना पकाने और हीटिंग के लिए, बिजली उत्पादन के लिए, कुछ उद्योगों में हीटिंग और अन्य प्रक्रियाओं के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

अभी 70 मिलियन टन तक बायो-सीएनजी उत्पादन केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का अनुमान है कि भारत में बायो-सीएनजी उत्पादन की क्षमता लगभग 70 मिलियन मीट्रिक टन है। इसका उत्पादन बाजार की मांग के अनुरूप है, जिससे यह आर्थिक रूप से पूरी तरह व्यहारिक है।

क्या है बायोसीएनजी? बायोसीएनजी का उत्पादन जैविक अपशिष्ट पदार्थों जैसे पशु अपशिष्ट, खाद्य अपशिष्ट और औद्योगिक कीचड़ को बायोगैस और डाइजेस्टेट में तोड़कर किया जाता है। यह प्रक्रिया एक सीलबंद, ऑक्सीजन रहित टैंक में होती है, जिसे एनारोबिक डाइजेस्टर भी कहा जाता है। फिर बायोगैस को संसाधित किया जाता है, जिससे 95 फीसदी शुद्ध मीथेन गैस प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया से उच्च गुणवत्ता वाला सांद्रित तरल उर्वरक प्राप्त होता है।

2050 तक तीन गुना होगी तेल-गैस की खपत यह ऊर्जा उत्पादन के लिए जैविक अपशिष्ट का उपयोग करके लैंडफिल में डाले जाने वाले ठोस अपशिष्ट से जुड़ी समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है। देश में 2050 तक तेल और गैस की खपत तीन गुना होने की उम्मीद है। बायो-सीएनजी की मांग को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्राकृतिक गैस की जगह कर सकते हैं उपयोग बायोमीथेन बायोसीएनजी का दूसरा नाम है। बायोमीथेन बायोमास को बायोगैस में परिवर्तित करके बनाया जाता है। बायोगैस को फिर शुद्ध करके ग्रिड-गुणवत्ता वाली गैस में बदल दिया जाता है, क्योंकि इसकी संरचना और विशेषताएं प्राकृतिक गैस के समान हैं, इसलिए इसका उपयोग कई अनुप्रयोगों में प्राकृतिक गैस के रूप में किया जा सकता है।

महीनेभर के भीतर टेंडर की प्रक्रिया की जाएगी शुरू प्रदेश के आठ स्थानों पर जमीन का चिन्हांकन कर लिया गया है। इसके लिए जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक महीने के भीतर ही इसका टेंडर फाइनल करने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बसवराजू एस., सचिव नगरीय प्रशासन विभाग

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