आईआईटी भिलाई ने बनाया बुक ट्रैकिंग सिस्टम: अब हर पुस्तक पर क्यूआर कोड, स्कूल तक पहुंची या नहीं, कर सकेंगे ट्रैक

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दुर्ग – सरकारी स्कूलों में समय पर पाठ्यपुस्तकें पहुंचाने की पुरानी चुनौती से निपटने के लिए अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भिलाई ने एक अभिनव पहल की है। आईआईटी के विशेषज्ञों ने बुक ट्रैकिंग सिस्टम बनाया है। जिसके माध्यम से अब प्रत्येक सरकारी पुस्तक पर एक क्यूआर कोड लगाया जाएगा, जिससे पुस्तकों की छपाई से लेकर वितरण तक की पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखी जा सकेगी। हर साल लाखों की मात्रा में किताबें छापी जाती है। बावजूद शिकायत रहती है कि बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिली।

पिछले साल सरकारी स्कूल की हजारों किताबें रद्दी में पाया गया था। ऐसी गड़बड़ी ना हो और जरूरत के हिसाब से ही पुस्तक छापे जाए। इसके लिए यह नई तकनीक राज्य सरकारों और पाठ्यपुस्तक निगम ने आईआईटी के साथ मिलकर सुनिश्चित किया है। इस बुक ट्रैकिंग सिस्टम की मदद से किताबें समय से पहले छात्रों तक पहुंच जाएगी। बीच में किसी भी प्रकार की देरी या गड़बड़ी को तुरंत ट्रैक किया जा सकेगा। प्रत्येक पुस्तक पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके यह पता लगाया जा सकेगा कि वह किताब कब और कहां छपी, किस स्कूल को भेजी गई और कितने समय में छात्र तक पहुंची। ऐसा प्रदेश में पहली बार हो रहा है। इस पर आईआईटी मिलाई ने काम भी शुरू कर दिया है। यह सिस्टम न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि लाखों छात्रों को समय पर पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके जरिये डाटा भी संकलित किया जाएगा, जो भविष्य में वितरण प्रक्रिया को और बेहतर बनाने में उपयोगी रहेगा।

स्कैन करके इशू करा सकेंगे बुक
एप को सभी स्कूल के शिक्षक अपने आईडी के लॉग इन करेंगे। इसके बाद पुस्तक के क्यूआर कोड को स्कैन करके बुक इशू करा सकेंगे। इससे डेशबोर्ड में दिखेगा कि किस स्कूल ने कितना बुक इशू करा लिया है। किस स्कूल ने नहीं कराया है। इस तरह से पूरे प्रदेश के 56 हजार सरकारी स्कूल के करीब ढाई लाख बच्चों को दिए जाने वाली किताबों, 24 पब्लिशर, 6 डिपो सभी के एक-एक बुक और एक-एक बच्चे को किताब मिली की नहीं। इसका पूरा रिकार्ड रहेगा।
3 करोड़ किताबें छापे थे, इस साल ढाई करोड़ छापेंगे
पिछले साल करीब 3 करोड़ किताबें छापी गई थी। लेकिन इस साल करीब ढाई करोड़ किताबें छापी जाएगी। प्रदेश में आई आईटी मिलाई ने विद्या समीक्षा केंद्र बनाया है। प्रदेश भर में किस स्कूल में कितने बच्चे है। एक्जेक्ट डेटा इनके पास है। इसके आधार पर अब किताबें छपेगी और स्कूलों तक भेजी जाएगी। इससे अतिरिक्त पुस्तक छापकर शासन को जो नुकसान होता था, वह नहीं होगा।
मोबाइल ऐप बनाएं है, हर किताब में क्यूआर कोड
मोबाइल एप बनाया है। इसके अलावा हर किताब में बार कोर्ड और यूनिक बार कोर्ड होगा। इसे स्कैन करने पर किताब कब कहां छपी, किस पब्लिसर की है, ऐसी पूरी जानकारी होगी। यूनिक बार कोर्ड जो हर किताब में अलग-अलग होगा, इसे स्कैन करने से किताब को ट्रेक किया जा सकेगा। जैसे ऑनलाइन शॉपिग के बाद हम अपने आर्डर को ट्रैक करते हैं।

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