तालाबों को बचाने बनाई गई थी वेटलैंड संरक्षण समिति, फिर भी रायपुर के 40 तालाब खतरे में

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रायपुर नगर निगम क्षेत्र में 40 से अधिक तालाब हैं, जिसमें से ज्यादातर खतरे में है। कइयों के ​अस्तित्व खत्म होने के कगार में है। तालाबों को बचाने के लिए रायपुर जिला वेटलैंड संरक्षण समिति का गठन किया गया था, लेकिन यह समिति वेटलैंड्स की रक्षा करने में विफल साबित हुई है। ऐसे में समिति को भंग करने और रायपुर में वेटलैंड्स की स्थिति की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन करने की मांग उठने लगी है। इस संबंध में पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता ने छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन सह छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने तालाबों की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए वैज्ञानिकों सहित एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने की मांग की है।

रायपुर जिला वेटलैंड संरक्षण समिति को भंग करने डॉ. राकेश गुप्ता ने की मांग

रिटेनिंग वाल खत्म कर रहे तालाब

डॉ. गुप्ता ने बताया कि यदि किसी स्वच्छ तालाब को मारना है, तो बस उसके चारों ओर एक रिटेनिंग वॉल बना दीजिए। इससे जल का रिसाव रुक जाएगा और तालाब धीरे-धीरे मर जाएगा। यही रिटेनिंग वाल बनाकर सभी तालाबों को मार दिया गया है। करबला तालाब में पहले से ही रिटेनिंग वाल है और अब और नई रिटेनिंग वाल बनाई जाएगी।

दो साल बाद भी नहीं मिली जांच रिपोर्ट

डॉ. गुप्ता ने बताया कि वेटलैंड अथॉरिटी ने 8 मई 2023 की शुरुआत में रायपुर के 2.25 हेक्टेयर और उससे अधिक क्षेत्रफल वाले सभी वेटलैंड्स की जांच करने के निर्देश जारी किए थे। इसमें बूढ़ातालाब, तेलीबांधा, महाराजबंध और करबला तालाब शामिल है। 11 जुलाई 2023 को तत्कालीन डीएफओ के नेतृत्व में एक समिति गठित की, जिसने जांच को सिर्फ तीन वेटलैंड्स करबला तालाब, झांझ और सेंध तक सीमित कर दिया, जिसकी अब तक रिपोर्ट नहीं मिली है। समिति को दिसंबर 2000 से अब तक का सबसे उच्च औसत बाढ़ जल स्तर निकालना था।

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