माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा के मेधावी विद्यार्थियों की चर्चा हो रही है। इससे 7128 छात्र-छात्राएं हैं, जो अलग हटकर हैं। इन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ आस-पड़ोस के निरक्षरों को भी पढ़ाया। वे पास हो गए तो इन शिक्षक स्वयंसेवियों को भी 10-10 अंक बोनस के रूप में मिले। परीक्षा में 469570 शामिल हुए और 460525 पास हुए हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग का दावा है कि 10-10 अंक बोनस मिलने से इन छात्र-छात्राओं का भी रिजल्ट सुधरा है। उन्होंने निरक्षरों को साक्षर बनाने में शिक्षक की तरह सामाजिक योगदान भी दिया है। 10-10 बोनस अंक पाने वालों में 10वीं के 3589 और 12वीं के 3539 छात्र-छात्राएं हैं। इन्होंने शिक्षक स्वयंसेवी बनकर 15 साल से अधिक उम्र के अशिक्षित पालकों और आस-पड़ोस के प्रौढ़ साक्षरों को पढ़ाया।
- राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संचालक ऋतुराज रघुवंशी के मुताबिक यह अब तक का सर्वाधिक बड़ा आंकड़ा है। इसे और बड़े स्तर पर ले जाना चाहिए।
अब तक ऐसी थी व्यवस्था
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से अब तक केवल स्काउट एंड गाइड, एनसीसी, खेलकूद आदि में सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को ही इस तरह से बोनस अंक दिए जाते थे। मंडल की शर्तों के मुताबिक यदि कोई भी छात्र या छात्रा शिक्षक स्वयंसेवी बनता है तो उसे कम से 10 असाक्षरों को उल्लास प्रवेशिका से पढ़ाकर 150 से 200 घंटे तक पढ़ाना जरूरी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल द्वारा यह परीक्षा ली जाती है।