कमीशनखोरी के चक्कर में जिला अस्पताल व सिम्स के पास 47 निजी लैब; प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग नहीं कररही कारवाई…!

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मेडिकल कॉलेज और किसी भी जिला अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में निजी लैब संचालित नहीं किए जा सकते, लेकिन सिम्स व जिला अस्पताल के 100 मीटर के अंदर 47 से अधिक निजी लैब संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग हर साल इन्हें लाइसेंस भी जारी करता है।

सरकारी अस्पताल के सामने निजी लैब होने का सबसे ज्यादा फायदा सरकारी अस्पताल के कर्मचारी उठाते हैं। कमीशन के चक्कर में मरीजों को जांच के लिए निजी लैब भेजा जाता है। सिम्स मेडिकल कॉलेज के आसपास 24 निजी लैब और जांच सेंटर के साथ मिनी अस्पताल चल रहे हैं।

सभी सेंटरों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल लाइसेंस भी जारी किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि लाइसेंस देने से पहले निजी लैब की जांच जरूरी होती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं किया जाता। लैब संचालक के आवेदन और शुल्क जमा कराने के बाद लाइसेंस जारी कर दिया जाता है।

हाल ही में हाई कोर्ट ने इस मामले में डीन पर नाराजगी जताई थी। सिम्स के डीन ने हलफनामे में यह जानकारी दी है कि मेडिकल कॉलेज के 100 मीटर के दायरे में निजी लैब संचालित नहीं होने चाहिए। लेकिन यहां दर्जनों लैब संचालित हो रहे हैं। वहीं जिला अस्पताल के सामने 22 निजी लैब संचालित हो रहे हैं। अस्पताल के सामने नियमों को दरकिनार निजी लैब संचालित किए जा रहे हैं।

100 मीटर के दायरे में नहीं संचालित की जा सकती हैं निजी लैब

कई बार की जा चुकी है शिकायत

सिम्स के डीन और अधीक्षक से कई बार यहां के स्टॉफ द्वारा इलाज कराने आने वाले मरीजों को निजी लैब और मिनी अस्पताल भेजने की शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण अभी भी ऐसा किया जा रहा है।

कमीशन के लिए भेजा जाता है निजी लैब में

सिम्स जिला अस्पताल में आए दिन सोनोग्राफी, कलर डाफ्लर, दांत का एक्सरे, थाइराइड, लिक्विड प्रोफाइल सहित अन्य जांच की समस्या रहती है। यहां का स्टाफ मिलीभगत कर मरीजों को जांच के लिए निजी लैब भेज देते हैं।

एक भी लैब में पार्किंग नहीं

संचालित होने वाले लैब, जांच सेंटर और निजी अस्पतालों के गुमाश्ता लाइसेंस की जांच नहीं की जाती है। एक भी लैब में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। यहां जांच के लिए आने वाले मरीज अपने वाहन सड़क पर ही खड़ी करते हैं।

सिम्स के 30 डॉक्टर करते हैं प्राइवेट प्रैक्टिस

सिम्स के 30 डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करते हैं, इसमें सीनियर से लेकर जूनियर डॉक्टर शामिल है। कई डॉक्टर एनपीए यानी नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस भी लेते हैं। सीएमएचओ को निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की रिपोर्ट बनाकर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। हेल्थ कमिश्नर नम्रता गांधी ने निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को तलब कर उनके दस्तावेजों का परीक्षण किया था। सिम्स के अधिकांश डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करते हैं।

यहां ऐसे कई डॉक्टर है जो सिम्स प्रबंधन को जानकारी दिए बगैर भी प्रैक्टिस करते हैं। वे प्रैक्टिस नहीं करने के लिए शासन से राशि भी लेते हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते हैं। मामले का खुलासा शुक्रवार को तब हुआ जब हेल्थ कमिश्नर नम्रता गांधी ने सभी डॉक्टरों के दस्तावेज देखे। वे सुबह 10 बजे सर्किट हाउस पहुंची।

एसडीएम, सीएमएचओ सहित तीन सदस्यों की अलग-अलग टीम बनाई गई। इसके बाद वे सिम्स पहुंची। डीन डॉ. केके सहारे, एमएस डॉ. एसके नायक के साथ कालेज बिल्डिंग के हाल में निजी प्रैक्टिस के लिए डॉक्टरों के आवेदनों व दस्तावेजों की जांच की। इसके बाद एक-एक कर सभी डॉक्टरों के दस्तावेजों की जांच की। सर्किट हाउस में सीएचएचओ डॉ. राजेश शुक्ला, डॉ. बीके वैष्णव, डॉ. मनीष श्रीवास्तव, प्रवीण शर्मा, गिरीश दुबे, मौली जेकब सहित अन्य मौजूद रहे।

सख्त कार्रवाई होने की उम्मीद

प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों द्वारा सरकार से पैसे भी लेने का मामला सामने आने पर अधिकारियों ने नाराजगी जताई और जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

याचिका के संबंध में दस्तावेजों की जांच सिम्स के डॉक्टरों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगी है। उस याचिका के संबंध में दस्तावेजों के परीक्षण करने के लिए पहुंची हूं।
नम्रता गांधी, हेल्थ कमिश्नर

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