बिलासपुर जिले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ड्रीम प्रोजेक्ट रही ‘अरपा उत्थान एवं तट संवर्धन योजना’ करीब 100 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी बीच में अटक गई है। मौजूदा इस्टीमेट में इंदिरा सेतु से पुराने पुल तक यानी 650 मीटर रोड का ही निर्माण पूरा हो पाएगा।
ये योजना इंदिरा सेतु से शनिचरी रपटे तक अरपा के दोनों किनारे 3,314 मीटर सर्वसुविधायुक्त फोरलेन रोड के निर्माण के लिए बनाई गई थी। पुराने पुल से शनिचरी रपटा तक रोड, नाला और उद्यानिकी के विकास के लिए 47 करोड़ की और जरूरत होगी, इसके लिए अफसर नई सरकार के रुख का इंतजार कर रहे हैं।
इस मामले में बिलासपुर विधानसभा से नवनिर्वाचित विधायक एवं पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने साफ कहा कि अरपा के किनारे रोड निर्माण सहित सारे अधूरे कार्यों की समीक्षा कर इन्हें पूरा कराया जाएगा।

अरपा उत्थान एवं तट संवर्धन योजना’ करीब 100 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी बीच में अटक गई है।
अरपा प्राधिकरण को बनाया जाएगा सशक्त
अरपा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के गठन के बाद भले ही धरातल पर कोई काम नहीं हुआ, लेकिन योजना का पूरा रोडमैप दीर्घकालीन सर्वे और रिसर्च के बाद तैयार कराया गया। आईआईटी गुवाहाटी ने अरपा में 100 साल के जलस्तर के डाटा के आधार पर तट संवर्धन के अंतर्गत रोड की ऊंचाई निर्धारित की। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अरपा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को भंग करने प्रस्ताव मंगवा लिया था, लेकिन पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने इसे भंग नहीं करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और इसके बाद से प्राधिकरण अब भी अस्तित्व में है।
हालांकि कांग्रेस सरकार ने प्राधिकरण के अलावा अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण का अलग से गठन किया, जिसके मुख्यमंत्री खुद अध्यक्ष और अभयनारायण राय उपाध्यक्ष, महेश दुबे, नरेंद्र बोलर और आशा पांडेय पदेन सदस्य थे। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार के समय से गठित प्राधिकरण को पुनर्जीवित करने की संभावना बलवती हो गई है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि उनकी सरकार अरपा विकास प्राधिकरण को और अधिक सशक्त बनाएगी, ताकि अरपा के विकास का लक्ष्य पूरा हो सके।
47 करोड़ के रिवाइज इस्टीमेट को नहीं मिल पाई मंजूरी
अरपा के दोनों किनारे रोड और नाला निर्माण के लिए स्मार्ट सिटी ने सबसे पहले 94.61 करोड़ की योजना तैयार की। तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने 16 मई 2021 को इसका वर्चुअल शिलान्यास करते निर्माण कार्य शुरू कराया। काम का ठेका मेसर्स गणपति इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। ठेका कंपनी को 18 महीने यानी अक्टूबर 2022 तक काम पूरा करना था। अधूरे कार्य को पूर्ण करने के लिए ठेकेदार को तीसरी बार 15 दिसंबर 2023 तक का एक्सटेंशन दिया गया।
मौजूदा इस्टीमेट में कार्य नहीं हो पाने पर स्मार्ट सिटी ने 94.61 करोड़ से प्रारंभिक इस्टीमेट को रिवाइज कर लागत 99.93 करोड़ की। शासन ने पिल्लीवार एसोसिएट्स से योजना को फिर से रिवाइज करने को कहा। इस बार लागत में 47 करोड़ और बढ़ोतरी हो गई, लेकिन स्मार्ट सिटी ने इसे स्वीकृति नहीं दी। स्मार्ट सिटी के अफसरों ने इस प्रस्ताव को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को यह कहकर नहीं भेजा कि अधूरे कार्य को पूरा कराने के लिए फंड की व्यवस्था डीएमएफ फंड या अन्य स्रोतों से की जाएगी।
रिवाइज्ड इस्टीमेट पास नहीं हुआ तो नहीं हो पाएगा डामरीकरण तक
अफसरों के मुताबिक, 94.61 करोड़ से 99.93 करोड़ के रिवाइज हुए इस्टीमेट से केवल 560 मीटर रोड के डामरीकरण का काम हो पाएगा। इससे आगे शनिचरी रपटा तक मात्र डब्ल्यूबीएम और नदी के दूसरी ओर एल 1 साइड के 640 मीटर में जीएसबी और एल 2 साइड के 1,354 मीटर तक रोड के केवल सबग्रेड का ही काम हो पाएगा। यानी केवल मुरूम ही डाली जा सकेगी।
प्रोजेक्ट के प्रभारी और स्मार्ट सिटी के मैनेजर सुरेश बरुआ की मानें तो पहले चरण में इंदिरा सेतु से पुराने पुल तक रोड निर्माण का काम इसी महीने के अंत तक पूरा कराने का टारगेट है। इसके बाद आगे के काम के लिए प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि पिल्लीवार एसोसिएट्स की ओर से पेश 47 करोड़ के रिवाइज्ड इस्टीमेट को अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है।