ट्रेनों की कटौती, बसों में लूट: 500 तक किराया में अंतर, 70 फीसदी बसों से सूची गायब, ऑनलाइन में भी मनमानी वसूली

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रायपुर – ट्रेनों के बार-बार रद्द होने के कारण यात्रियों का रुझान अब बसों की ओर बढ़ गया है, लेकिन यहां भी उन्हें मनमाने किराए की मार झेलनी पड़ रही है। परिवहन विभाग ने पिछले वर्ष सभी बसों में दूरी के अनुसार किराए की सूची अनिवार्य रूप से लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन अब ये सूचियां 70 प्रतिशत बसों से गायब हो चुकी हैं यात्रियों से एसी और नॉन-एसी बसों में तय दरों से अधिक किराया वसूला जा रहा है। स्थिति यह है कि हर बस का किराया अलग-अलग तय किया गया है। बस संचालकों ने बसों में मिलने वाली सुविधाओं के आधार पर खुद ही किराया तय कर लिया है, जिससे यात्रियों को भ्रम और आर्थिक नुकसान दोनों उठाने पड़ रहे हैं। हरिभूमि की टीम ने अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल पर मुंबई, भोपाल, जगदलपुर, बिलासपुर सहित अन्य शहरों को जाने वाली बसों का किराया परिवहन विभाग के ‘बस फेयर कैलकुलेटर’ के तय मानकों के आधार पर जांचा।

जांच में सामने आया कि, रायपुर से चलने वाली डीलक्स स्लीपर कोच, डीलक्स नाइट बस, सेमी स्लीपर और सुपर डीलक्स बसों में सबसे ज्यादा अनियमितता है। रात के समय बसों के किराए में 100 रुपये तक का अंतर देखा गया, जबकि दिन में चलने वाली एसी और नॉन-एसी स्लीपर बसों में कम दूरी से लेकर लंबी दूरी तक 200 रुपये तक का अंतर सामने आया। विभागीय नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है और यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जा रहा

बसों से गायब है किराया सूची
रायपुर से चलने वाली करीब 70 फीसदी छोटी और बड़ी बसों से किराया सूची पूरी तरह से गायब हो चुकी है। केवल 20 फीसदी बसों में ही यह सूची देखी गई, जो मुख्यतः रायपुर से राजिम, भिलाई और बलौदाबाजार जैसे नजदीकी रूटों पर संचालित होती हैं। लंबी दूरी की बसों में किसी भी प्रकार की किराया सूची प्रदर्शित नहीं है। कुछ बस चालकों ने स्वीकार किया कि किराया सूची एक साल पहले लगाई गई थी, लेकिन अब हटा दी गई है। परिवहन विभाग की ओर से बसों में नियमित जांच नहीं हो रही, जिससे बस संचालक मनमाने तरीके से किराया वसूल रहे हैं। यात्रियों के पास जानकारी के अभाव में विरोध करने का भी आधार नहीं होता। रायपुर से बिलासपुर की दूरी 117 किमी है, जिसके लिए अधिकतम किराया 232 रुपए तय किया गया है। लेकिन बस स्टैंड में यात्रियों से सामान्य नॉन एसी बस के लिए 284 रुपए तक वसूले जा रहे हैं, वह भी बिना जीएसटी के। इसी तरह रायपुर से अंबिकापुर की 337 किमी दूरी के लिए आरटीओ ने 672 रुपए किराया तय किया है, लेकिन यात्रियों से बस स्टैंड में 750 तक वसूले जा रहे हैं।

कार्रवाई करेंगे
अतिरिक्त परिवहन आयुक्त डी. रविशंकर ने बताया कि, जिन बसों में किराया सूची नहीं लगी है, उन बस संचालकों पर कार्रवाई करेंगे। तय किराया से अधिक वसूलने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

केस – 01

रायपुर-औरंगाबाद
रायपुर से औरंगाबाद की दूरी 734 किमी 82110 है। परिवहन विभाग के बस फेयर कैलकुलेटर के अनुसार, डीलक्स स्लीपर कोच में इस दूरी का अधिकतम किराया 1466 रुपए होना चाहिए। लेकिन बस टर्मिनल पर एजेंट यात्रियों से 1600 रुपए तक वसूल रहे हैं। ऑनलाइन टिकट की स्थिति और भी खराब है। यहां डीलक्स स्लीपर कोच का किराया 1800 से 1900 रुपए तक दिख रहा है । जो तय किराए से करीब 434 रुपए अधिक है। एजेंटों का तर्क है कि उनकी बसें अन्य बसों की तुलना में जल्दी पहुंचती हैं और रास्ते में कम रुकती हैं, इसलिए किराया ज्यादा लिया जा रहा है।

केस – 02

रायपुर से नागपुर
रायपुर से नागपुर की दूरी 284 किमी है। डीलक्स सेमी स्लीपर कोच में इसका किराया 566 रुपए तक लेना है। लेकिन बस अड्डे पर एजेंट नागपुर के लिए इसी बसों का किराया दिन में 700 तक वसूल रहे हैं। रात में यात्रियों से किराया सही रेट पर ले रहे हैं। ऑनलाइन में 6 बसों का किराया 600 से 700 के बीच है, तो वहीं आधा दर्जन से अधिक बस का किराया 800 से 2000 तक देखने को मिला।

रूट एक लेकिन बसों का किराया अलग
परिवहन विभाग ने बसों के प्रकार और दूरी के अनुसार किराया निर्धारित किया है, लेकिन हकीकत में बस संचालक अपने हिसाब से किराया वसूल रहे हैं। डीलक्स स्लीपर कोच बस में रायपुर से दंतेवाड़ा की दूरी 357 किमी है, जिसके लिए तय किराया 712 रुपये है, लेकिन बस टर्मिनल पर टिकट एजेंट यात्रियों से 800 रुपये तक वसूल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि एक ही तरह की बसें, जो एक ही रूट पर लगभग समान समय करीब 7 घंटे 45 मिनट में सफर तय करती हैं, उनका किराया अलग-अलग वसूला जा रहा है।

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