राज्य में हजारों की संख्या में स्कूलों के बंद होने को लेकर चल रही चर्चाओं पर शनिवार को विराम लग गया। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि केवल 166 स्कूलों का समायोजन होगा। शेष 10,297 स्कूल पूरी तरह चालू रहेंगे। शिक्षा विभाग की तरफ से बताया गया कि कुछ संगठनों एवं व्यक्तियों ने युक्तियुक्तकरण से हजारों की संख्या में स्कूलों के बंद होने की बात का प्रचार किया। यह पूरी तरह से तथ्यहीन है। प्रदेश सरकार की ओर से जारी युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया का उद्देश्य किसी की पढ़ाई रोकना नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।
166 में से 133 ग्रामीण इलाकों के स्कूल: राज्य में जिन 166 स्कूलों का समायोजन होना है, उसमें से 133 स्कूल ग्रामीण इलाकों के हैं। यहां छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के दायरे में दूसरा स्कूल चल रहा है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 33 स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों की संख्या 30 से कम है। यहां 500 मीटर के दायरे में दूसरा स्कूल चल रहा है।
प्रशासनिक और शैक्षणिक स्तर पर होगा समायोजन
राज्य के 10,297 स्कूल पूरी तरह से चालू रहेंगे। इन स्कूलों में प्रशासनिक और शैक्षणिक स्तर पर समायोजन (एडजस्टमेंट) किया जा रहा है। यही नहीं स्कूल भवनों का उपयोग पहले की तरह ही जारी रहेगा। जहां जरूरत होगी, वहां शिक्षक भी उपलब्ध रहेंगे। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों का समायोजन और बंद होना दोनों अलग-अलग विषय है। समायोजन का अर्थ है पास के स्कूलों को एकीकृत कर बेहतर संसाधनों का उपयोग। इसका मकसद बच्चों को अच्छी शिक्षा देना है, न कि स्कूल बंद करना।
इसलिए किया जा रहा समायोजन
- शिक्षकों की तैनाती संख्या के हिसाब से नहीं बल्कि जरूरत के हिसाब से हो।
- कम छात्रों के कारण जहां पढ़ाई नहीं हो रही, वे दूसरे स्कूल में मर्ज हो सकें।
यह होगा फायदा
- शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में अब पर्याप्त शिक्षक मिलेंगे।
- जिन स्कूलों में गिनती के छात्र थे, वे पास के अच्छे स्कूलों में पढ़ सकेंगे।
- बच्चों को ज्यादा योग्य और विशेषज्ञ शिक्षक मिलेंगे।
- स्कूलों में लाइब्रेरी, लैब, कंप्यूटर आदि की सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इस बदलाव से शिक्षा का स्तर सुधरेगा।
शहर से लेकर गांव तक सुधरेगी पढ़ाई सरकार का दावा है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। यह कदम सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक ठोस बदलाव है। इससे आने वाली पीढ़ी को मजबूत नींव मिलेगी।