विश्वविद्यालयों ने जारी किया आदेश: राजभवन तैयार करेगा शिक्षा महाविद्यालयों का बायोडाटा, मांगी थोक में जानकारी

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रायपुर। राजभवन प्रदेश के सभी शिक्षा महाविद्यालयों का बायोडाटा तैयार करने जा रहा है। सभी विश्वविद्यालयों को खत लिखकर राजभवन ने संबद्ध महाविद्यालयों से जुड़ी जानकारी मांगी है। इसके बाद छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय विश्वविद्यालयों द्वारा संबद्ध बीएड-डीएलएड महाविद्यालयों को खत लिखा गया है। कॉलेजों को प्रपत्र भेजकर इसमें दिए गए बिंदुओं के आधार पर जानकारी मांगी गई है। ना केवल शैक्षणिक जानकारी बल्कि महाविद्यालय में पानी का स्त्रोत क्या है, फर्नीचर संख्या कितनी है, शिक्षकों का वेतन कितना है, कितने शिक्षक स्वेच्छा से कम वेतन पर काम कर रहे हैं, ग्रंथालय में किताबों की संख्या कितनी है, यह जानकारी भी देनी होगी।

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राजभवन द्वारा सभी विश्वविद्यालयों को यह खत 25 अप्रैल को लिखा गया था। खत लिखे जाने के तीन महीने के भीतर जानकारी देने कहा गया था। ऐसे में 25 जुलाई तक सभी बीएड-डीएलएड महाविद्यालयों को यह जानकारी विश्वविद्यालयों को प्रेषित करनी होगी, जहां से इसे राजभवन भेजा जाएगा। विश्वविद्यालयों ने महाविद्यालयों को लिखे अपने खत में कहा है कि महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन किए जाने के संदर्भ में जानकारी चाही गई है। ऐसे में दिए गए प्रपत्र के अनुसार जानकारी निर्धारित अवधि में देने कहा गया है।

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पहली बार ऐसा
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में पहली बार इस तरह की स्थिति निर्मित हुई है जब बीएड-डीएलएड महाविद्यालयों से इतनी सूक्ष्मतम जानकारी मांगी जा रही है। बीएड कॉलेज एसोसिएशन के संयोजक राजीव गुप्ता का कहना है कि शिक्षा महाविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी बिंदुओं का पालन कर रहे हैं। शासन द्वारा मांगी गई जानकारी भी समय पर प्रदान कर दी जाएगी। सीटें प्रदेश में 140 बीएड महाविद्यालय हैं। यहां बीएड की 14,500 सीटें हैं। वहीं 89 महाविद्यालयों में डीएलएड पाठ्यक्रम का संचालन होता है। डीएलएड की छत्तीसगढ़ में 6,700 सीटें हैं।

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महाविद्यालय प्रबंधन परेशान
इस लंबे-चौड़े प्रपत्र को देखकर महाविद्यालय प्रबंधन परेशान हो गया है। मांगी गई जानकारियों में से कई ऐसी है, जिसके लिए डाटा जुगाड़ कर पाना संभव नहीं है। इसमें प्राध्यापकों के बीते वर्ष की उपस्थिति पंजी, बैंक स्टेटमेंट, शिक्षकों द्वारा पेश किए गए रिसर्च पेपर, शोध कार्य, उनके द्वारा लिखी गई किताबें व आर्टिकल, शिक्षक के शोध कार्य में खर्च की गई राशि, महाविद्यालय का संचालन करनी वाली समिति की चल-अचल संपत्ति, शैक्षणिक संस्था के पास भवन तथा भूमि क उपलब्धता, भूमि पर निर्मित भवन, खुली बची जमीन, क्रीड़ा मैदान, मानव संसाधन सहित प्रत्येक सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी चाही गई है। महाविद्यालय प्रबंधन को उक्त जानकारी और साक्ष्य के रूप में इससे जुड़े दस्तावेज एकत्र करने में दिक्कतें आ रही हैं।

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