गोरेलाल सिन्हा -गरियाबंद। हरिभूमि ने प्रदेश के कई जिलों में करोड़ों रुपए की लागत लगाकर शुरू की गई । इस योजना का मुआयना किया, तो जो प्रारंभिक स्थिति सामने आई है। वह चौकाने वाली है। दुर्ग जिले में महात्मा गांधी रूरल डस्ट्रियल पार्क के लिए जिले में बारह यूनिट खोले गए थे। प्रत्येक यूनिट में दो करोड़ खर्च करने के बाद न तो किसी ग्रामीण को रोजगार मिल रहा है और न ही महिला समूहों के हाथों में काम है। सिर्फ स्ट्रक्चर और मशीन में ही करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए। जिसके बाद अफसरों ने दोबारा योजना को लेकर मुड़कर भी नहीं देखा। हालात यह है कि, दो से तीन यूनिट को छोड़ बाकी यूनिट में ताले लगे हैं। इस योजना का मकसद ग्रामीणों को रोजगार और महिला समूह बडा खुलासा।
निजी हाथों में चुपके से सौंपे काम
हरिभूमि के पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जिला प्रशासन द्वारा इन यूनिटों के संचालन में महिला समूहों की मदद नहीं किए जाने के कारण वे काम छोड़ गए। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा अंजोरा, चंदखुरी सहित कई यूनिट को निजी हाथों में सौंप दिया गया है।
जिले में इस तरह की प्लानिंग थी
अंजोरा में मिनिरल वाटर प्लांट, कातरो में स्टेशनरी व प्लेक्स प्रिटिंग यूनिट, ढाबा में गवर्नमेंट मैन्यूफैचरिंग यूनिट, चंदखुरी मिल्क प्रोसेस, मोहंदी में एलईडी एवं सोलर लाइट असेमबलिंग यूनिट, हसदा में टामाटो प्रोसेसिंग पैकिंग यूनिट, पुर्दा में बनाना कलस्टर, दानी कोकडी गांव में सीमेंट पोल, टाइल्स फेब्रिकेशन चैनलिंक फैसिंग, सांकरा में गुलाल एक्सटेनसन, फुंडा में एनीमल फीड कोल्ड प्रेस आईल यूनिट, कुर्मीगुंड्रा में हेल्थी स्नैक्स मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट व अशोगा गांव में एचडीईपी बैग बारदाना प्रोसेसिंग आदि लगनी थी, लेकिन यहां सिर्फ स्ट्रक्चर में राशि फूंके गए हैं।
बंद है दानी कोकड़ी में यूनिट
धमधा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत दानी कोकड़ी सहित अन्य जगहों में कांग्रेस के जमाने में लोगों को आत्मनिर्भर और रोजगार में सहायक बनने वाली महात्मा गांधी रोलर इंडस्ट्रयल पार्क के नाम से योजना बनाकर इन्हीं चिन्ह अंकित जगह पर इंडस्ट्रयल पार्क का निर्माण किया गया था। जिसके चलते महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को कई परिवारों को रोजगार मिल रहा था, लोग वहां गोबर से पेट फुटपाथ पर लगाने वाले चेकर किसानों के खेतों पर लगने वाले फेंसिंग पोल बेकरी आइटम तथा कन कई अन्य प्रकार के उत्पाद बनाकर स्वावलंबी बन रहे थे और अपने रोजगार का रास्ता बनाया था। योजना को बंद करने के बाद कई एकड़ में फैले इस पार्क की बिल्डिंग जर्जर स्थिति में आते जा रही है, सामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है।
गरियाबंद-देवभोग और फिंगेश्वर में रीपा सेंटर बंद
गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, मैनपुर और देवभोग ब्लॉक की चिन्हित ग्राम पंचायतों में दो-दो रीपा सेंटर स्थापित किए गए थे। यानी जिले में कुल 10 रूरल इंडस्ट्रयल पार्क शुरू किए गए थे। उद्देश्य था कि ग्रामीण युवाओं को गांव में ही रोजगार मिले और बाजार से जुड़ाव भी हो सके। शुरूआत में यह योजना ग्रामीण आजीविका का बड़ा जरिया बनी, लेकिन अब अधिकांश यूनिट या तो पूरी तरह बंद हैं या सीमित संचालन में हैं। देवभोग में दोनों रीपा सेंटर बंद हैं। यहां संचालन की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई थी, लेकिन कार्य ठप है। फिंगेश्वर (श्यामनगर) में बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं सिलाई कार्य में लगीं, लेकिन अन्य यूनिट बंद। भेंडरी, लोहरसी में फर्नीचर निर्माण ठप पड़ा है। गरियाबंद (चीखली) मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट बंद हो चुकी है, यहां टेंडर प्रक्रिया लंबित। फुलकर्रा में पेवर ब्लॉक, प्लाई ब्रिक्स यूनिट फंड की कमी के कारण बंद। वहीं अमलीपदर में मसाला निर्माण का काम चालू है, लेकिन बाकी यूनिट बंद है। योजना के तहत खरीदे गए करोड़ों रुपए के संसाधन अब कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं और कई सेंटरों के भवन अधूरे या बेकार पड़े हैं।
नहीं मिल रोजगार
दुर्ग के पूर्व जनपद सभापति टिकेश्वरी देशमुख ने बताया कि , रीपा योजना से ग्रामीणों को रोजगार मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वर्तमान में महिला समूहों को काम न देकर निजी ठेकेदारों को बगैर प्रक्रिया को यूनिट सौंप दिया गया है। जिसमें हमने पहले भी विरोध किया था।
बंद कर दिया गया
धमधा के ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष शिवकुमार वर्मा ने बताया कि, जन-जन के लिए कल्याणकारी योजनाओं में से एक बहुत बड़ी योजना हमारे सरकार की रही है। जिससे युवाओं को रोजगार मिल रहा था, उसे आज की सरकार ने बंद कर दिया है।
बलौदाबाजार, ठेकेदारों का लाखों का भुगतान अटका
बलौदा बाजार जिले के हर जनपद पंचायत में 2 रीपा सेंटर बनाए गए हैं, जिला बलौदा बाजार-भाटापारा में कुल 10 रीपा सेंटर्स हैं। मिली जानकारी के अनुसार जिले मे रीपा प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद हो चुका हैं, रीपा सेंटर्स का निर्माण करने वाले ठेकेदारों का भी लाखों का भुगतान अटका हुआ हैं।
धमतरी में कमरे में कैद योजना
धमतरी में महात्मा गांधी रूलर इंडस्ट्रियल पार्क ग्राम भटगांव में धूल खा रहा है। हाल यह है कि लाखों रुपए की लागत से बना इंडस्ट्रियल पार्क कॉम्पलेक्स बनकर रह गया है। यहां गोबर पेंट बनाने वाली मशीनें काम शुरू होने से पहले ही बंद पड़ी हैं। धान से पोहा, मुर्रा, बनाने के लिए कोई समूह ट्रेंड नहीं है। यह उद्योग कमरे में कैद है। खारा मिक्चर बनाने के उद्योग को निजी व्यक्ति के नाम से ठेके पर चलाया जा रहा है।