रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना में अपने प्रदेश में केंद्र सरकार के बाद अब राज्य सरकार भी इस योजना में सब्सिडी देने वाली है। इसके लिए बजट में दो सौ करोड़ रखे गए हैं। अब कितने किलोवाट में कितनी सब्सिडी देनी है, यही तय करना बचा है। राज्य सरकार की सब्सिडी के इंतजार में आवेदनों की रफ्तार जरूर मंद पड़ गई है। इस समय योजना में 29 सौ घरों में सोलर पैनल लग गए हैं। 41 हजार से ज्यादा आवेदन भी आ गए हैं। 2027 तक प्रदेश में 1.30 लाख घरों को रोशन करने का लक्ष्य है।
केंद्र सरकार ने घरों की छतों पर बिजली उत्पादन की योजना बनाई है। देश भर में एक करोड़ से ज्यादा घरों की छतों पर बिजली उत्पादन का लक्ष्य सोलर पैनल के माध्यम से रखा गया है। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिल रही है। हर राज्य के लिए अलग-अलग लक्ष्य रखा गया है। जहां पर छत्तीसगढ़ का सवाल है तो यहां के लिए छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने 2027 तक के लिए सवा लाख से ज्यादा का लक्ष्य रखा है, लेकिन इससे ज्यादा घरों को रोशन करने की योजना है।
आवेदनों की रफ्तार धीमी
प्रदेश में इस योजना में बीते साल अप्रैल से सितंबर तक महज सात हजार आवेदन ही आए थे। कम आवेदनों के कारण पॉवर कंपनी ने इस मामले में गंभीरता से ध्यान दिया और इस योजना की जानकारी देने के लिए शिविर लगाने का भी काम किया है। इसका परिणाम यह हुआ है अब 41200 आवेदन आ गए हैं। इसमें से 40300 आवेदनों को मंजूरी भी दे दी गई है। फरवरी में आवेदन करने के लिए केंद्र सरकार ने एक नया पोर्टल लांच किया है। इस पोर्टल में तकनीकी खराबी के कारण पहले ही आवेदन करने में परेशानी हो रही है। अब राज्य सरकार की सब्सिडी के इंतजार में आवेदक आवेदन करने से बच रहे हैं। राज्य सरकार की सब्सिडी में कितने किलोवाट पर कितने की राहत मिलेगी, इसका ऐलान होने के बाद आवेदनों की रफ्तार में इजाफा होने की संभावना है।
अभी 78 हजार तक सब्सिडी
पॉवर कंपनी के अधिकारियों का कहना है योजना में हर आय वर्ग के लोग सोलर पैनल लगाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसमें कोई आय सीमा तय नहीं है। हर आय वर्ग वालों को सब्सिडी भी मिलेगी। इसमें केंद्र सरकार से एक किलोवाट पर 30 हजार, दो किलोवाट पर 60 हजार और तीन किलोवाट पर 78 हजार की सब्सिडी मिल रही है। अब राज्य सरकार की सब्सिडी भी तय होने वाली है। संभावना है कि राज्य सरकार से भी तीन किलोवाट में 20 से 30 हजार की सब्सिडी मिल जाएगी। ऐसे में तीन किलोवाट के लिए उपभोक्ताओं को 70 से 75 हजार ही खर्च करने पड़ेंगे। भारतसरकार द्वारा तो प्रति किलोवाट के लिए 50 हजार रुपए तय है, लेकिन अलग-अलग वेंडरों का रेट अलग-अलग होने पर एक किलोवाट पर करीब 70 हजार दो किलोवाट पर 1.20 लाख और तीन किलोवाट पर 1.75 लाख का खर्च लग जाता है।