जैतूसाव मठ की धरमपुरा स्थित तीन सौ करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति को कूटरचना कर आशीष तिवारी के नाम पर नामांतरण के मामले में अब तत्कालीन तहसीलदार अजय चंद्रवंशी के खिलाफ भी जांच की जाएगी। संभाग कमिश्नर महादेव कावरे ने बताया कि, तहसीलदार ने नियम विरुद्ध तरीके से संपत्ति का नामांतरण आदेश जारी किया था, जिससे कहीं न कहीं दस्तावेजों से भी छेड़छाड़ की गई है। इससे तहसीलदार की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसे देखते हुए तहसीलदार के खिलाफ भी जांच कराई जाएगी, जिसके लिए जल्द ही कमेटी बनाई जाएगी।
एसडीएम से पहले ही निरस्त हो चुका नामांतरण आदेश
तहसीलदार अजय चंद्रवंशी द्वारा दस्तावेजों के साथ फर्जीवाड़ा कर नामांतरण का आदेश एसडीएम न्यायालय में भी निरस्त हो चुका है। इस आदेश के बाद आशीष तिवारी ने संभाग आयुक्त न्यायालय में प्रकरण लगाया था, जैतूसाव मठ के प्रमुख अजय तिवारी ने बताया कि तहसीलदार ने जिस व्यक्ति के नाम पर नामांतरण किया है, उसका वालफोर्ट सिटी में करोड़ों का बंगला है, जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहता है, जबकि वह खुद को निहंग ब्रम्हचारी बताता है। उन्होंने कहा कि पुराने रिकार्ड में हेराफेरी कर ट्रस्ट की 57 एकड़ जमीन को आशीष तिवारी ने अपने नाम पर चढ़ा ली थी। इस फर्जीवाड़ा में शब्बीर हुसैन नामक व्यक्ति का भी रोल रहा है, जिसने फर्जी तरीके से समीर शुक्ला के नाम पर अपना आधार कार्ड बना लिया है। वह भी मंदिर की संपत्ति बिक्री का पैसा पावती देकर ले रहा है।
प्रबंधक कलेक्टर का नाम विलोपित कर दूसरे के नाम चढ़ा दी संपत्ति
संभाग आयुक्त के आदेश में बताया गया है कि तत्कालीन तहसीलदार अजय चंद्रवंशी ने किस तरह से जैतूसाव मठ की करोड़ों की संपत्ति को आशीष तिवारी के नाम पर चढ़ा दी। इस आदेश में बताया है कि ट्रस्ट की संपत्ति का प्रबंधक स्वयं कलेक्टर है। इस संपत्ति को नामांतरण आदेश जारी करने से पहले दस्तावेजों से प्रबंधक कलेक्टर का नाम ही विलोपित कर दिया गया है। इससे पता चला कि नामांतरण करने के लिए तहसीलदार ने रिकार्ड रूम में रखे दस्तावेजों में छेड़छाड़ की है।