रायपुर। श्वांस नली में संकुचन और ब्लॉक की समस्या से जूझ रहे मरीज के इलाज के लिए रायपुर मेडिकल कालेज से संबंधित तीन विभागों के डॉक्टरों ने ज्वाइंट ऑपरेशन को अंजाम दिया। लंबी चली प्रक्रिया के दौरान सर्जरी के जरिए नाक की हड्डी की मदद से उसकी श्वांस नली की दीवाल बनाई गई। महीनेभर लंबी चली प्रक्रिया के बाद मरीज स्वस्थ हुआ और चैन की सांस लेने लगा। बिलासपुर के सिम्स से आंबेडकर अस्पताल रेफर हुए मरीज को श्वांस नली में जटिल सकुंचन की समस्या थी। इस समस्या के समाधान के लिए उसकी ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई। इस दुर्लभऔर जटिल सर्जरी को पूरा करने के लिए रायपुर मेडिकल कालेज के ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर ऑपरेशन पूरा किया।
चिकित्सकों ने बताया कि, चेहरे और गले के सीटी स्कैन के दौरान यह पता चला था कि उसकी श्वासनली में 2.4 सेमी लंबा नलिका संकुचन और 7 मिमी की पूर्ण स्टेनोसिस है। इस समस्या के पूर्ण समाधान के लिए दो चरणों में सर्जरी की गई। इसके तहत 24 दिसंबर 2024 को ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने री-डू ट्रेकियोस्टॉमी कर वायुमार्ग को पुनः स्थापित किया। इसके बाद लंबी प्रक्रिया और इंतजार के बाद 16 मई 2025 को पुनः ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई, जिसमें नाक के सेप्टल कार्टिलेज (हड्डी) का उपयोग कर ट्रेकिया के सामने की दीवाल बनाई गई। दस दिन इंतजार करने और रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 26 मई को ओरल ईटी ट्यूब हटाने, नासिक इंटुबेशन और घाव बंद की प्रक्रिया की गई। इसके बाद मरीज को लंबी निगरानी में रखा गया, जिसके बिना मरीज ट्रेकियोस्टॉमी से सामान्य रूप से सांस ले पा रहा है और पूर्णतः स्वस्थ है और अच्छे से बातचीत कर पा रहा है।
इन डॉक्टरों ने निभाई भूमिका
इस लंबी और दुर्लभ तरह की सर्जरी को पूरी करने में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. दक्षेश शाह, ईनटी विभाग के डॉ. वर्षा मुंगुटवार डॉ. मान्या रॉय, डॉ. प्रोनब एवं डॉ. सुमन दास, एनीस्थिसिया विभाग की डॉ. जया लालवानी, डॉ. रश्मि नायक, डॉ. मंजू टंडन, डॉ. शाहिदा, डॉ. शशांक एवं रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉ. विवेक पात्रे और डॉ. विभा पात्रे भूमिका निभाई।