मानसून से पहले दुर्ग जिला प्रशासन ने बाढ़ के संभावित खतरे को देखते हुए व्यापक तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में शनिवार को शिवनाथ नदी में एसडीआरएफ की टीम ने मॉक ड्रिल किया। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य बाढ़ के दौरान होने वाली अप्रिय घटनाओं से बचाव और राहत कार्यों की रणनीति को परखना था।
दुर्ग जिला शिवनाथ नदी के तट पर बसा हुआ है, जहां हर साल लगभग तीन दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा इस बार पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है। मॉकड्रिल के दौरान एसडीआरएफ की टीम ने बाढ़ की स्थिति में नाव पलटने, व्यक्ति के नदी में गिरने, नालों के उफान से रास्ता बाधित होने जैसे हालातों को दर्शाया और उनसे निपटने की तकनीक का प्रदर्शन किया।
आपदा प्रबंधन से जुड़े उपकरणों का लिया जायजा
शिवनाथ नदी में आयोजित इस मॉक ड्रिल में एसडीआरएफ के कमांडेंट नागेंद्र सिंह और जिला प्रशासन के तमाम अधिकारी मौजूद रहे। स्वयं कलेक्टर अभिजीत सिंह भी उपस्थित थे। उन्होंने बचाव कार्यों की बारीकी से समीक्षा की और आपदा प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का जायजा लिया।
इस दौरान यह भी बताया गया कि किस तरह बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जाता है और लापता व्यक्ति की खोज कैसे की जाती है। कलेक्टर ने कहा कि जिले की एसडीआरएफ टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
वैक्यूम लोकेशन कैमरा, अंडरवाटर कैमरा उपयोग किया गया
कमांडेड नागेंद्र सिंह ने बताया कि टीम को हर वर्ष हम कटक और कोलकाता में ट्रेनिंग के लिए भेजते हैं। समय-समय पर ट्रेनिंग के माध्यम से हम गोताखोरी और तैराकी का पूर्वाभ्यास कराते हैं।
इस बार हमने गोताखोरों की संख्या भी बढ़ाई है। हमारे पास मॉडर्न 07 बोट है। इसके अलावा आधुनिक उपकरण में वैक्यूम लोकेशन कैमरा, अंडरवाटर कैमरा यह सभी आज मॉकड्रिल के दौरान उपयोग किया गया है।
बाढ़ आपदा की स्थिति में उपयोग किए जाने वाले लाइफ बोट लाइफ जैकेट, टॉर्च, रस्सा, कैमरे बोट्स, हमारे पास उपलब्ध है। जैसे ही हमको बाढ़ आपदा स्थिति की सूचना मिलती है तत्काल रवाना हो जाएंगे।