बिलासपुर, छ.ग. : नर्सिंग होम एक्ट में 9 अक्टूबर से बदलाव कर दिया गया है। लेकिन, तीन महीने बाद भी इसके लिए शपथ पत्र का प्रारूप नहीं भेजा गया है। इसके अलावा पोर्टल को लेकर भी कोई जानकारी नहीं दी गई है, जिसके कारण 70 क्लीनिक, नर्सिंग होम के लाइसेंस अटक गए हैं।
इसके लिए नई सरकार के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। सीएमएचओ डॉ. राजेश शुक्ला का कहना है, कि आयुर्वेद, डेंटल, होम्योपैथिक के लाइसेंस पेंडिंग हैं। सीएमएचओ ने बताया, पहले नर्सिंग होम का निरीक्षण कर जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाती थी, लेकिन नए नियम में निरीक्षण नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। पोर्टल को बंद करना है, या चालू रखना है, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। इन्हीं कारणों से लाइसेंस जारी नहीं किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, 9 अक्टूबर 2023 को नर्सिंग होम एक्ट 2010 व 2013 में संशोधन लागू हो गया है। प्रदेश में उपचार की सुविधा देने वाले 10 बिस्तर के अस्पतालों को अब आवेदन मात्र करने से उसी दिन लाइसेंस जारी हो जाएगा। बस उस अस्पताल को आवेदन करते समय नर्सिंग होम एक्ट के सभी मानकों को पूरा करने का शपथ पत्र देना होगा। 11 से 30 बिस्तर के अस्पतालों का आवेदन होने के 3 महीने के बीच निरीक्षण नहीं हुआ, तो स्वत: लाइसेंस जारी हो जाएगा। शासन द्वारा इस एक्ट में 4 अक्टूबर को किया गया संशोधन 9 अक्टूबर के राजपत्र में प्रकाशित कराया गया था। उसी समय चिकित्सकीय काम करने वालों को अपनी आपत्तियां देने 30 दिन का समय दिया था। निर्धारित समय में जितनी भी आपत्तियां पहुंचीं, उनके निराकरण के बाद निर्णय लिया गया।
ये हैं पुुराने नियम बिना लाइसेंस लिए कोई किसी भी दायरे का हेल्थ सेंटर जैसे क्लिनिक, डे-केयर व डाइग्नोस्टिक सेंटर नहीं खोल सकता। लाइसेंस के लिए आवेदन करने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम निरीक्षण करती थी। सभी मानक पूरे होने पर भी उसके लाइसेंस की फाइल मीटिंग में नहीं पहुंचती थी। इसका परिणाम यह, कि लाइसेंस के जरूरी दस्तावेजों की मियाद खत्म हो जाती थी। व्यस्तता की वजह से कुछ आवेदनों के क्रम में साल बीतने के बाद भी अफसर निरीक्षण नहीं कर पाते थे। इस जटिल प्रणाली में लाइसेंस का मामला लंबित रहता था।