छत्तीसगढ़ का एकमात्र मेंटल-हॉस्पिटल बदहाल:हर दिन 150 मरीज, लेकिन टोकन सिस्टम नहीं; लेटलतीफ डॉक्टर, गंदगी का अंबार, हाईकोर्ट ने हेल्थ सेक्रेटरी से मांगा जवाब

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित राज्य का एकमात्र मेंटल हॉस्पिटल बदहाल हालत में है। यहां न तो डॉक्टर समय पर आते हैं और न ही मरीजों के लिए कोई सुविधा है। अस्पताल परिसर में हर तरफ गंदगी पसरी रहती है, दीवारें भी गंदी हैं। ओपीडी में करीब 150 मरीज आते हैं, लेकिन टोकन सिस्टम नहीं होने से अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है। कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर यह जानकारी दी है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को 27 जून की रिपोर्ट पर अपना शपथ पत्र देने को कहा है। अब इस मामले की सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

अव्यवस्था को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई

दरअसल, बिलासपुर के सकरी स्थित मेंटल अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने एडवोकेट ऋषि राहुल सोनी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर अस्पताल का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था।

जिस पर उन्होंने मेंटल हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सुविधा से लेकर सभी जगहों का जायजा लिया।

समय पर नहीं आते डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ

सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें बताया कि 23 मई और 6 जून को 2 बार अस्पताल का निरीक्षण किया। जिसमें उन्होंने पाया कि अस्पताल में अधीक्षक, मनोचिकित्सक, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, मेडिकल ऑफिसर और वार्ड स्टाफ सहित पर्याप्त नियुक्तियां की गई हैं।

लेकिन, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ समय पर ड्यूटी पर नहीं आते। अधिकांश कर्मचारी अपनी बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं कराते, जिसकी वजह से स्टाफ की मनमानी और अनुशासन की कमी नजर आई।

गंदगी, जर्जर भवन और सुविधाओं का अभाव

कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट में बताया गया कि अस्पताल भवन जर्जर हालत में है। दीवारें धूल और गंदगी से भरी हैं। बाथरूम गंदे हैं। डिस्प्ले बोर्ड अस्पष्ट हैं और वाटर कूलर भी साफ नहीं हैं। सबसे गंभीर बात यह रही कि अस्पताल में सीटी स्कैन जैसी जरूरी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है।

150 मरीजों के लिए भी नहीं टोकन व्यवस्था

कोर्ट कमिश्नर को अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रभु कुमार चौधरी ने बताया कि हर दिन करीब 150 नए मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन, यहां रजिस्ट्रेशन के लिए कोई टोकन सिस्टम नहीं है। इससे काउंटर पर भीड़ और अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है।

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