नई दिल्ली | दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में शुक्रवार को बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी द्वारा लगाए गए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया और इसे “कानूनी दृष्टि से अजीब” बताया।
⚖️ सिंघवी ने कहा – “यह संपत्ति के स्वामित्व का मामला है, मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं”
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि,
“अगर यह मान भी लिया जाए कि यंग इंडियन कंपनी एजेएल (Associated Journals Limited) की 100% मालिक है, तो भी यह मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं बल्कि संपत्ति स्वामित्व का मामला हुआ।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ईडी की चार्जशीट महज काल्पनिक स्थितियों और अटकलों पर आधारित है, जिसे कानूनी रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता।
⏳ “65 साल पुरानी संस्था को अचानक मनी लॉन्ड्रिंग का केंद्र कैसे कहा जा सकता है?”
सिंघवी ने ईडी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा:
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संस्था (एजेएल) पिछले 65 वर्षों से सक्रिय है।
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2010 से 2021 तक कोई जांच या कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
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11 साल बाद अचानक कार्रवाई से ईडी की नियत पर प्रश्न उठते हैं।
“न कोई पैसे का लेन-देन, न ही संपत्ति का हस्तांतरण”
सिंघवी ने कोर्ट में यह तर्क भी दिया कि:
“इस पूरे मामले में न तो किसी प्रकार का पैसों का ट्रांजैक्शन हुआ, और न ही संपत्तियों की मालिकाना स्थिति में बदलाव आया है। फिर मनी लॉन्ड्रिंग का आधार कहां से आया?”
उन्होंने बताया कि:
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एजेएल और यंग इंडियन दोनों ही नॉन-प्रॉफिट संस्थाएं हैं।
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जब लाभ लेने या वितरित करने का अधिकार ही नहीं है, तो धोखाधड़ी की बात भी न्यायिक तर्क से परे है।
“यंग इंडियन को कर्ज चुकाने के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया गया”
सिंघवी ने बताया कि यंग इंडियन को एक वित्तीय संरचना के रूप में इस्तेमाल किया गया था, ताकि एजेएल को उसके कर्ज से मुक्त किया जा सके।
उन्होंने तर्क दिया:
“हर कंपनी अपनी वित्तीय देनदारियों को कम करती है। हमने भी वही किया, इसमें कोई अवैधता नहीं है।”
ईडी के आरोप: क्या है पूरा मामला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा (अब दिवंगत), ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे समेत यंग इंडियन कंपनी पर आरोप लगाए हैं कि:
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इन्होंने लगभग 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति का धोखे से अधिग्रहण किया।
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इस प्रक्रिया में मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
️ नेशनल हेराल्ड केस: पृष्ठभूमि
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान की थी। इसके संचालन के लिए बनी कंपनी Associated Journals Limited (AJL) अब यंग इंडियन के तहत आती है, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी प्रमुख शेयरधारक हैं। इसी स्वामित्व के विवाद को लेकर मामला अब मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में तब्दील हो गया है।
महत्वपूर्ण बिंदु संक्षेप में:
विषय | विवरण |
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केस का नाम | नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस |
मुख्य आरोप | ₹2000 करोड़ की संपत्ति का अवैध अधिग्रहण |
ईडी का पक्ष | मनी लॉन्ड्रिंग व धोखाधड़ी |
कांग्रेस का पक्ष | केवल स्वामित्व बदलाव, कोई वित्तीय लाभ नहीं |
सुनवाई स्थल | राउज एवेन्यू कोर्ट, दिल्ली |
वकील | अभिषेक मनु सिंघवी (राहुल-सोनिया की ओर से) |
️ सिंघवी बोले – “यह कांग्रेस की विरासत का हिस्सा है, कोई अपराध नहीं”
सिंघवी ने अपने समापन तर्क में कहा:
“नेशनल हेराल्ड केस का कांग्रेस से जुड़ा होना कोई गलत बात नहीं है। यह पार्टी की विरासत का हिस्सा है।”