ग्रामीण विकास की रीढ़: पंचायती राज संस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का प्रेरणादायक संबोधन

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— नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण का भव्य शुभारंभ —


मुख्य बिंदु:

  • मुख्यमंत्री बोले: “गांवों का विकास किए बिना विकसित छत्तीसगढ़ की कल्पना अधूरी है।”

  • पंचायती राज को बताया ग्रामीण विकास की रीढ़, दी व्यक्तिगत संघर्षों की प्रेरणादायक मिसाल।

  • नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों से दृढ़ इच्छाशक्ति और जनसेवा की भावना से काम करने का आह्वान।

  • डॉ. अच्युत सामंत और नानाजी देशमुख जैसे जनसेवकों का दिया प्रेरक उदाहरण।

  • प्रशिक्षण में शामिल होंगे 1.70 लाख पंचायती राज प्रतिनिधि, आज से हुई शुरुआत।

  • पेसा कानून की मार्गदर्शिका, “पंचमन पत्रिका” और अन्य पठन सामग्री का हुआ विमोचन।


️ प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य

राजधानी रायपुर के निमोरा स्थित ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री ने पंचायती राज को “ग्रामीण विकास की रीढ़” बताते हुए कहा कि जनता की सेवा का यह सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने प्रतिनिधियों को अपने अनुभव से अवगत कराते हुए कहा:

“मैंने भी राजनीति की शुरुआत एक ‘पंच’ के रूप में की थी। पिता के निधन के बाद संघर्षों से भरा जीवन जिया, पर जनआशीर्वाद से मुख्यमंत्री तक पहुंचा।”


✊ इच्छाशक्ति से बदल सकती है जिले की तस्वीर

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अगर जनहित की भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो एक व्यक्ति भी पूरे जिले की तस्वीर बदल सकता है। उन्होंने ओडिशा के डॉ. अच्युत सामंत और नानाजी देशमुख के कार्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे व्यक्तिगत पहल से हजारों लोगों का जीवन बदला जा सकता है।

“डॉ. सामंत ने 25 हजार जनजातीय बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी, जबकि नानाजी देशमुख ने 80 गांवों को आत्मनिर्भर बनाया।”


नक्सलवाद पर सरकार का सख्त रुख

मुख्यमंत्री ने राज्य में नक्सलवाद को विकास में बड़ी बाधा बताया, लेकिन यह भी कहा कि:

“हमने पुनर्वास नीति बनाकर आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित किया है। जल्द ही बस्तर नक्सलमुक्त होगा।”

उन्होंने बस्तर के मुलेर गांव का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे 25 किमी पैदल चलने वाले आदिवासियों के लिए राशन दुकान खोलकर जीवन आसान किया गया।


गांवों के लिए विकास के नए दृष्टिकोण की जरूरत

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधियों से अपील की कि वे सिर्फ निर्माण कार्यों पर ही नहीं, बल्कि गांवों की आर्थिक उन्नति, आत्मनिर्भरता, स्वच्छता और शिक्षा जैसे मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करें।

नियमित प्रवास और निरीक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इससे प्रशासनिक कसावट आती है और गुणवत्ता से समझौता नहीं होता।


️ उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का मार्गदर्शन

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े सभी कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं की गहरी समझ जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि:

“सिर्फ निर्माण नहीं, दुग्ध उत्पादन जैसे प्रयासों से गांव की आर्थिक स्थिति सुधर सकती है।”

उन्होंने बताया कि 1.70 लाख पंचायत प्रतिनिधियों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए प्रशिक्षित किया जाएगा।


सामग्री का विमोचन और पौधरोपण

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री साय ने:

  • “पेसा: पंचायत उपबंध एवं छत्तीसगढ़ पंचायत मार्गदर्शिका”

  • “पंचमन पत्रिका”

  • जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों हेतु पठन सामग्री
    का विमोचन किया।

साथ ही संस्थान परिसर में मौलश्री पौधे का रोपण कर पर्यावरण-संवेदना का संदेश भी दिया।


‍ वरिष्ठ अधिकारी रहे उपस्थित

इस अवसर पर कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे, जिनमें शामिल थे:

  • पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती निहारिका बारीक सिंह

  • सचिव श्री भीम सिंह

  • संचालक श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया

  • संस्थान के संचालक श्री पी. सी. मिश्रा


निष्कर्ष

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को सशक्त नेतृत्व, नीति की समझ और संवेदनशील प्रशासन की दिशा में प्रेरित करेगा। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के संवादात्मक और प्रेरक भाषणों से यह साफ हो गया है कि राज्य सरकार गांवों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

“जब पंचायतें जागेंगी, तब गांव बदलेंगे और तब छत्तीसगढ़ बनेगा विकसित भारत की मिसाल।”

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