⚠️ छत्तीसगढ़ में वन्यजीव हमले से दहशत: एक ओर भालू ने युवक पर किया हमला, दूसरी ओर तेंदुए ने बछड़े को बनाया शिकार ⚠️

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भालू के हमले में युवक गंभीर रूप से घायल, जंगल में मशरूम बीनने गया था

कोंडागांव (फरसगांव) से रिपोर्ट | कुलजोत संधु

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के सिदावण्ड गांव में भालू के हमले की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। फुटु (जंगली मशरूम) बीनने जंगल गया एक युवक भालू का शिकार बन गया। घटना ने पूरे क्षेत्र में खौफ का माहौल बना दिया है।

घटना का विवरण:

  • युवक अकेले सिदावण्ड जंगल में मशरूम खोज रहा था।

  • अचानक झाड़ियों से निकले भालू ने उस पर हमला कर दिया।

  • गले और हाथ पर गंभीर रूप से नाखून और दांतों से वार किया गया।

  • खून से लथपथ हालत में युवक ने किसी तरह जान बचाकर घर पहुंचकर मदद मांगी

परिजनों ने उसे तत्काल केशकाल अस्पताल पहुंचाया, जहां से हालत गंभीर होने के चलते हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। घटना की सूचना पर वन विभाग की टीम भी मौके पर अस्पताल पहुंची और स्थिति की समीक्षा की।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अब जंगल में जाना और भी खतरनाक हो गया है। वन्यजीवों की लगातार मौजूदगी और हमलों से ग्रामीणों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है।


कांकेर में तेंदुए की दस्तक: बछड़े को बनाया शिकार, रिहायशी क्षेत्र में फैली दहशत

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से भी वन्यजीव हमले की दूसरी बड़ी खबर आई है। इमलीपारा हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के पास एक तेंदुआ रात के समय घुस आया और एक बछड़े को मार डाला

️ क्या हुआ उस रात:

  • सोमवार रात को अचानक रिहायशी इलाके में तेंदुए की दस्तक से अफरा-तफरी मच गई।

  • तेंदुआ एक बछड़े को घसीट कर ले गया और मार डाला

  • तभी एक वाहन की हेडलाइट पड़ते ही तेंदुआ दीवार फांदकर जंगल की ओर भाग गया

घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, आसपास के इलाके का जायजा लिया और तेंदुए की तलाश शुरू की। इमलीपारा सहित पूरे कांकेर शहर में दहशत का माहौल है, लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं।


लगातार बढ़ रही हैं इंसान-वन्यजीव टकराव की घटनाएं

छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से आ रही ऐसी घटनाएं इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि वन्यजीव अब जंगलों तक सीमित नहीं रह गए हैं। भोजन और स्थान की कमी के चलते वे मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे इंसानों और जानवरों के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है।

चिंता के मुख्य कारण:

  • जंगलों में भोजन की कमी

  • मानव आबादी का जंगलों की ओर बढ़ना

  • वन्यजीवों के प्राकृतिक वासस्थलों का संकुचन


क्या कहता है वन विभाग?

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि:

  • भालू और तेंदुए की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है।

  • वन क्षेत्र में गश्त बढ़ाई गई है।

  • ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे अकेले जंगल न जाएं, खासकर भोर या शाम के समय।


समाधान की दिशा में क्या किया जाना चाहिए?

  1. वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक वासस्थलों की रक्षा।

  2. ग्रामीणों को सुरक्षित वन-प्रवेश के लिए प्रशिक्षण और चेतावनी।

  3. सीसीटीवी, ट्रैकिंग कैमरा और वन्यजीव ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग।

  4. रेस्क्यू और पुनर्वास केंद्रों की संख्या बढ़ाना।


निष्कर्ष:

छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों की बढ़ती सक्रियता अब सिर्फ जंगलों तक सीमित नहीं रही। भालू और तेंदुए जैसे जानवरों का ग्रामीण और शहरी इलाकों में प्रवेश आम होता जा रहा है। ऐसे में वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और आम नागरिकों को मिलकर एक ठोस रणनीति अपनाने की जरूरत है।

जंगल और इंसान — दोनों के बीच संतुलन जरूरी है, नहीं तो ऐसे हादसे और बढ़ेंगे।

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