बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में मुहर्रम जुलूस के दौरान एक घटना ने सांप्रदायिक सौहार्द्र को चुनौती दे दी है। तारबाहर क्षेत्र में निकले जुलूस के दौरान कुछ युवक मां शारदा मंदिर की छत पर चढ़कर डांस करने लगे, जिससे स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश फैल गया।
घटना का वीडियो हुआ वायरल:
बताया जा रहा है कि मुहर्रम जुलूस में शामिल युवक “शेर नाच” कर रहे थे। जब जुलूस तारबाहर इलाके में स्थित मां शारदा मंदिर के पास पहुंचा, तो उनमें से कुछ युवक मंदिर की छत पर चढ़ गए और वहीं नाचने लगे। इस घटना का वीडियो मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया और यह जल्दी ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
हिंदू संगठनों ने जताई कड़ी आपत्ति, थाने का घेराव:
वीडियो वायरल होते ही कई हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया और विरोध स्वरूप स्थानीय थाना पहुंचकर पुलिस का घेराव किया। संगठनों ने कहा कि सार्वजनिक जुलूस के दौरान मंदिर की छत पर चढ़कर डांस करना न सिर्फ आस्था के साथ खिलवाड़ है, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को भी जन्म दे सकता है।
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट से विवाद और बढ़ा:
मामले को और अधिक गंभीर उस वक्त माना गया जब इंस्टाग्राम स्टोरी में एक हिंदू नेता की तस्वीर पर भद्दी और धमकी भरी बातें लिखी गईं, साथ ही ‘कट’ का निशान भी जोड़ा गया। इससे हिंदू संगठनों की नाराजगी और बढ़ गई। उन्होंने इसे सुनियोजित उकसावे की कार्रवाई बताते हुए पुलिस से तत्काल गिरफ्तारी और सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, आरोपियों की तलाश जारी:
तारबाहर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। संबंधित युवकों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि वीडियो फुटेज और सोशल मीडिया पोस्ट की डिजिटल फॉरेंसिक जांच भी कराई जा रही है ताकि आरोपियों तक तेजी से पहुंचा जा सके।
प्रशासन की अपील – सौहार्द्र बनाये रखें:
वहीं पुलिस और प्रशासन ने सभी समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अधिकारियों ने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी और किसी भी धर्म की भावना को ठेस पहुंचाने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।
निष्कर्ष:
बिलासपुर की यह घटना धार्मिक संवेदनशीलता और सामाजिक मर्यादा से जुड़ा गंभीर मामला बन चुकी है। जहां एक ओर जुलूस और पर्व के दौरान सभी को अपने धर्म के अनुसार आचरण की आज़ादी है, वहीं दूसरे धर्मस्थलों की गरिमा बनाए रखना भी एक नैतिक जिम्मेदारी है। अब देखना होगा कि प्रशासन कितनी तत्परता से न्याय और सौहार्द्र को बहाल करता है।