रायपुर।
छत्तीसगढ़ के सबसे चर्चित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील शराब घोटाले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा अदालत में पेश करीब 2300 पन्नों का विस्तृत चालान बताता है कि यह घोटाला 3200 करोड़ रुपए तक का हो सकता है। जांच में यह भी सामने आया है कि 6,050,950 पेटियों (लगभग साढ़े 60 लाख) शराब की बिक्री में नियमों का उल्लंघन हुआ है।
⚖️ विशेष अदालत में पेश हुआ बड़ा चालान:
EOW की विशेष अदालत में दाखिल चालान में आरोप लगाया गया है कि यह घोटाला सिर्फ शराब की बिक्री तक सीमित नहीं था, बल्कि वितरण, रिकॉर्डिंग, राजस्व चोरी और गुप्त लेनदेन की एक संगठित श्रृंखला का हिस्सा था। जांच एजेंसियों ने इसमें 227 गवाहों को शामिल किया है और 138 पन्नों की संक्षिप्त रिपोर्ट भी अदालत को सौंपी है।
⚖️ 29 अफसरों को समन, कोई नहीं हुआ पेश:
इस घोटाले में 29 वर्तमान और सेवानिवृत्त आबकारी अधिकारियों को समन जारी किया गया था, लेकिन कोई भी अधिकारी अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 20 अगस्त 2025 तक सभी अधिकारी उपस्थित हों, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
इन 29 अधिकारियों को किया गया तलब:
सूची में उपायुक्त, जिला आबकारी अधिकारी और सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं, जिनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं:
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जनार्दन कौरव
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अनिमेष नेताम
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विजय सेन शर्मा
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अरविंद कुमार पाटले
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नीतू नोतानी ठाकुर
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मोहित कुमार जायसवाल
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एके. अनंत
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वेदराम लहरे
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एलएल. ध्रुव
(पूरी सूची ऊपर के मूल दस्तावेज़ में दी गई है)
क्या कहता है चालान?
2300 पन्नों के इस चालान में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह से राज्यभर में सरकारी शराब दुकानों के जरिए 6 मिलियन से अधिक पेटियां बेची गईं, लेकिन उससे जुड़े राजस्व और स्टॉक के रिकॉर्ड में भारी अंतर मिला है। इससे सरकार को हजारों करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ।
क्या है अगला कदम?
अब सबकी नजरें 20 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं, जब सभी अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का अंतिम अवसर दिया गया है। इसके बाद यदि कोई अधिकारी अनुपस्थित रहता है, तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट या सख्त कार्रवाई की संभावना है।
राजनीतिक हलकों में हलचल:
यह मामला राजनीतिक तौर पर भी बेहद संवेदनशील है। पूर्ववर्ती शासनकाल में हुए इस घोटाले में कई प्रभावशाली अधिकारियों और राजनीतिक नेटवर्क की संलिप्तता की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार, भविष्य में इस केस में राजनीतिक चेहरों के नाम भी सामने आ सकते हैं।
✅ निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि राज्य व्यवस्था और जनता के विश्वास से गद्दारी का मामला बनता जा रहा है। 3200 करोड़ के इस घोटाले की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, वैसे-वैसे प्रशासन, राजनीति और जनता के बीच विश्वास की खाई भी गहरी होती जा रही है।
अब देखना यह होगा कि 20 अगस्त की सुनवाई के बाद इस बहुचर्चित मामले में अदालत और जांच एजेंसियां कितना निर्णायक कदम उठाती हैं।