बलौदा बाजार, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के पलारी तहसील अंतर्गत ग्राम सहाड़ा में छात्र-छात्राओं की आवाज आखिरकार रंग लाई। वर्षों से खराब पड़ी सड़क और शिक्षक की कमी से जूझ रहे बच्चों ने जब संघर्ष और बहिष्कार का रास्ता अपनाया, तो प्रशासन को नींद खुली और सड़क मरम्मत का कार्य तत्काल शुरू कर दिया गया है।
कैसे भड़का छात्रों का गुस्सा?
गांव से स्कूल तक का 1 किलोमीटर लंबा रास्ता लगातार जर्जर और कीचड़ से भरा रहता है, जिससे बारिश के मौसम में स्कूल पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं। थक-हार कर शासकीय हाई स्कूल सहाड़ा के कक्षा नवमी और दसवीं के विद्यार्थियों ने शाला का बहिष्कार किया और पंचायत भवन के सामने जमकर प्रदर्शन किया।
छात्राओं ने खुले शब्दों में प्रशासन पर सवाल उठाए —
“हम पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। क्या गांव की बेटियों की पढ़ाई किसी की प्राथमिकता नहीं?”
️ प्रदर्शन के बाद प्रशासन हरकत में
प्रदर्शन के कुछ घंटों के भीतर ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और स्कूल मार्ग की मरम्मत कार्य की शुरुआत कर दी गई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि जब विद्यार्थी संगठित होकर आवाज उठाते हैं, तो व्यवस्था को झुकना पड़ता है।
शिक्षकों की कमी अब भी गंभीर मुद्दा
हालांकि सड़क मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन शिक्षकों की कमी अभी भी बनी हुई है। विद्यार्थियों ने बताया कि –
“हमारे स्कूल में विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं हैं। विज्ञान, गणित जैसे विषयों में पढ़ाई अधूरी रह जाती है।”
छात्रों ने स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की है कि शीघ्र स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जाए ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
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ग्राम सहाड़ा के छात्र-छात्राओं ने किया स्कूल मार्ग को लेकर प्रदर्शन
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शाला बहिष्कार कर पंचायत भवन के सामने जताया आक्रोश
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️ प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने मरम्मत कार्य शुरू कराया
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⚠️ शिक्षकों की कमी अब भी गंभीर समस्या
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छात्राओं ने प्रशासन को दी चेतावनी — अगर शिक्षा सुविधाएं नहीं मिलीं, तो आंदोलन और तेज होगा
विद्यार्थियों की आवाज बनी बदलाव की ताकत
गांव के बच्चों, खासकर लड़कियों ने यह साबित कर दिया कि सुनियोजित और शांतिपूर्ण विरोध बदलाव की दिशा में पहला कदम होता है। सड़क मरम्मत शुरू होना इस बात का प्रमाण है कि जहां इच्छा होती है, वहां रास्ता निकलता है।