मुख्य बिंदु:
✅ जंगल सफारी के पुराने मार्ग बहाल करने की मांग
✅ बाहरी बैरियर से अव्यवस्थित प्रवेश से वन्यजीवों की सुरक्षा पर संकट
✅ पर्यटक संख्या में गिरावट, स्थानीय गाइड और चालकों पर रोज़गार का संकट
✅ आवारा जानवरों और दोपहिया वाहनों की बढ़ती आवाजाही से गाइडों की नाराज़गी
✅ वन विभाग को राजस्व में हो रहा है नुकसान, निजी रिसोर्ट मालिकों को मिल रहा फायदा
बलौदाबाजार, 9 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय बारनवापारा अभयारण्य में जंगल सफारी संचालन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय गाइड और जिप्सी चालकों ने वनमंडल अधिकारी (DFO) को ज्ञापन सौंपते हुए पुराने प्रवेश मार्ग से ही सफारी संचालन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर विभाग ने उनकी मांग नहीं मानी तो संगठन विरोध प्रदर्शन करेगा, जिसकी संपूर्ण ज़िम्मेदारी वन विभाग की होगी।
सफारी संचालन में बदलाव से बढ़ी समस्याएं
अब तक बारनवापारा के मुख्य प्रवेश द्वार से ही सफारी का संचालन होता रहा है, जिसे स्थानीय गाइडों और जिप्सी चालकों द्वारा संचालित किया जाता था। यह व्यवस्था पिछले 10-12 वर्षों से वन प्रबंधन समिति द्वारा सुचारु रूप से चलाई जा रही थी।
लेकिन वर्ष 2024-25 में वन विभाग ने एकतरफा निर्णय लेते हुए पर्यटकों को रवाना पकरीद और बरबसपुर जैसे बाहरी बैरियर से सफारी में प्रवेश देने की नई व्यवस्था लागू कर दी। गाइड और चालकों ने इस निर्णय का शुरू से विरोध किया, परंतु उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया।
बाहरी प्रवेश से वन्यजीवों पर खतरा
गाइडों का कहना है कि बाहरी बैरियर से अनियंत्रित रूप से बाइक, कार और आवारा कुत्तों की जंगल में आवाजाही बढ़ गई है, जिससे वन्य जीवों की सुरक्षा पर गंभीर संकट पैदा हो गया है।
शिकार जैसी घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है, और पर्यटकों को वन्यजीवों की साइटिंग कम होने के कारण अनुभव निराशाजनक मिल रहा है।
रोज़गार और आर्थिक संकट की मार
बारनवापारा सफारी से पहले जहां प्रतिदिन लगभग 500 पर्यटक आते थे, अब वह संख्या घटकर आधे से भी कम हो गई है। इससे न केवल गाइडों और चालकों की आय प्रभावित हुई है, बल्कि स्थानीय युवाओं का रोजगार भी छिनता जा रहा है।
पूर्व में वन विभाग द्वारा 10 जिप्सी गाड़ियों को कर्ज पर दिया गया था, जिनकी किस्तें समिति के सदस्य अब भी चुका रहे हैं। सफारी अगर बंद या कम रही, तो उनकी किश्तें कैसे अदा होंगी? यह बड़ा सवाल है।
स्थानीय बनाम बाहरी गाइड: टकराव की स्थिति
गाइड और जिप्सी चालकों का कहना है कि बाहरी बैरियर से प्रवेश देने के कारण स्थानीय गाइडों को काम नहीं मिल रहा, और दूसरी तरफ बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे स्थानीय गाइडों और बाहरी लोगों के बीच विवाद की स्थिति बनती जा रही है।
वन सुरक्षा समिति और स्थानीय संघों की प्रमुख मांगें
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सफारी संचालन बारनवापारा मुख्य द्वार से ही पूर्ववत किया जाए।
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बाहरी प्रवेश द्वारों से बाइक, निजी वाहन और अव्यवस्थित घुसपैठ पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
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स्थानीय गाइडों और चालकों को प्राथमिकता दी जाए और रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
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वन्यजीव सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
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वन विभाग को हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई की जाए।
स्थानीय संघों का कहना है कि नई व्यवस्था से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, जबकि निजी रिसॉर्ट मालिकों को पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही से अनुचित लाभ मिल रहा है।
अंतिम चेतावनी: नवंबर से पूर्व बहाल न हुआ संचालन तो होगा आंदोलन
ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि यदि आगामी नवंबर माह से पहले पुराने मार्ग से सफारी संचालन फिर से शुरू नहीं किया गया, तो स्थानीय समिति जोरदार आंदोलन करेगी, और इसका पूरा दायित्व वन विभाग की नीतिगत विफलताओं पर होगा।
निष्कर्ष:
बारनवापारा जैसे वन्य अभयारण्य को केवल पर्यटक स्थल के रूप में नहीं, बल्कि स्थानीय रोजगार, पारिस्थितिकी संतुलन और वन्य जीवन संरक्षण के दृष्टिकोण से भी गंभीरता से देखने की जरूरत है। स्थानीय गाइडों और चालकों की मांगें केवल रोजगार तक सीमित नहीं, बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा और स्थायी पर्यटन व्यवस्था की ओर इशारा कर रही हैं। वन विभाग को अब इस मुद्दे पर संवाद और समाधान की नीति अपनानी होगी।