छत्तीसगढ़ में बिजली हुई महंगी: घरेलू उपभोक्ताओं को अब ज्यादा चुकानी पड़ेगी कीमत, जानिए कितना बढ़ा बोझ

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रायपुर, जुलाई 2025

छत्तीसगढ़ के लाखों बिजली उपभोक्ताओं के लिए जुलाई की शुरुआत एक नई चुनौती लेकर आई है। 1 जुलाई 2025 से प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी लागू कर दी गई है, जिससे घरेलू, गैर-घरेलू और कृषि वर्ग के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। विद्युत विनियामक आयोग ने इस बढ़ोतरी की पुष्टि शुक्रवार को प्रेस के माध्यम से की।

अब आम उपभोक्ताओं को बिजली के लिए हर यूनिट पर 10 से 25 पैसे अधिक चुकाने होंगे। इस बढ़ी हुई दर का असर अगस्त महीने में आने वाले बिजली बिल पर स्पष्ट रूप से दिखेगा।


किस वर्ग को कितना लगेगा झटका?

1. घरेलू उपभोक्ता (LV-1 श्रेणी)

  • बढ़ोतरी: 10 से 20 पैसे प्रति यूनिट

  • जिन उपभोक्ताओं के पास घरेलू कनेक्शन हैं, उनके लिए बिजली अब पहले से थोड़ी महंगी हो गई है। यह दर उन क्षेत्रों पर भी लागू होगी जो विशेष श्रेणियों में आते हैं जैसे:

    • बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण

    • सरगुजा और उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण

    • गौशाला और स्टे-होम्स (जिन्हें अब घरेलू श्रेणी में शामिल किया गया है)

  • अस्थायी कनेक्शन:
    पहले LV-1 श्रेणी के तहत लिए गए अस्थायी कनेक्शन पर 1.5 गुना टैरिफ लगता था, जिसे अब घटाकर 1.25 गुना टैरिफ कर दिया गया है।


2. गैर-घरेलू उपभोक्ता (LV-2 से LV-5 श्रेणी)

  • बढ़ोतरी: 25 पैसे प्रति यूनिट

  • जिन उपभोक्ताओं का बिजली उपयोग वाणिज्यिक, व्यावसायिक या औद्योगिक कार्यों में होता है, उनके लिए यह बढ़ोतरी बड़ी चिंता बन सकती है।

  • महत्वपूर्ण बदलाव:

    • आफसेट प्रिंटर्स और प्रिंटिंग प्रेस को अब LV-2 से हटाकर LV-5 श्रेणी में शिफ्ट किया गया है। इसका मतलब है कि अब उन्हें उस श्रेणी की अधिक टैरिफ दर के अनुसार बिल चुकाना होगा।

  • अस्थायी कनेक्शन:
    गैर-घरेलू श्रेणी के तहत लिए गए अस्थायी कनेक्शन पर भी अब 1.5 गुना की बजाय 1.25 गुना टैरिफ लागू होगा।


कृषि उपभोक्ताओं पर भी असर

हालांकि कृषि क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी दर वृद्धि नहीं की गई है, फिर भी सामान्य टैरिफ स्लैब में बदलाव होने से खेतों में पंप और सिंचाई उपकरण चलाने में किसानों को थोड़ी ज्यादा लागत झेलनी पड़ सकती है।


क्यों की गई दरों में वृद्धि?

बिजली दरों की समीक्षा हर वर्ष विद्युत विनियामक आयोग द्वारा की जाती है, ताकि बिजली वितरण कंपनियों को उनकी लागत और रखरखाव के खर्च की भरपाई मिल सके। इस बार भी आयोग ने बढ़ती उत्पादन लागत, फ्यूल चार्ज, और ट्रांसमिशन लागत का हवाला देते हुए दरों में मामूली वृद्धि को आवश्यक बताया है।


अब उपभोक्ता को क्या समझना चाहिए?

  • अगस्त का बिल बढ़ा हुआ आएगा – क्योंकि जुलाई से नई दरें लागू हो गई हैं।

  • छोटे उपभोक्ताओं पर मामूली असर, लेकिन व्यावसायिक और प्रिंटिंग सेक्टर पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है।

  • प्रिंटिंग प्रेस और आफसेट प्रिंटर्स को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनकी श्रेणी बदली गई है।


⚠️ क्या यह बोझ आम लोगों के लिए भारी है?

अगर औसतन एक घरेलू उपभोक्ता 200 यूनिट बिजली हर महीने खर्च करता है, तो उसे अब हर महीने 20 से 40 रुपये अधिक देना होगा। यह राशि भले ही कम लगे, लेकिन लंबी अवधि में बड़ी लागत बन सकती है, खासकर मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए।


क्या कोई राहत की संभावना है?

  • बिजली कंपनियों ने सब्सिडी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है, यानी जिन उपभोक्ताओं को पहले से छूट मिलती थी, उन्हें आगे भी राहत मिलेगी।

  • आयोग ने ग्रीन एनर्जी और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की बात भी कही है, जिससे आने वाले समय में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता मिल सकती है।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ में बिजली दरों की यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर आम जनता की जेब पर असर डालेगी। हालांकि बढ़ोतरी बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन व्यवसायिक वर्ग और विशेष उपयोगकर्ताओं को रणनीतिक ढंग से अपने बिजली उपयोग की समीक्षा करनी होगी।

राज्य सरकार और वितरण कंपनियों को अब जरूरत है कि वे ऊर्जा की दक्षता, स्मार्ट मीटरिंग, और सौर विकल्पों को बढ़ावा दें ताकि भविष्य में उपभोक्ताओं को बोझ कम हो।

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