नई दिल्ली।
बॉलीवुड से राजनीति में कदम रखने वाली चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार वजह कोई फिल्म या बयान नहीं, बल्कि सांसद के तौर पर उनका राजनीतिक अनुभव और सैलरी को लेकर किया गया खुलासा है। टाइम्स नाउ को दिए गए एक इंटरव्यू में कंगना ने बेबाकी से बताया कि राजनीति में आना उनके लिए जितना प्रतिष्ठा भरा रहा है, उतना ही जिम्मेदारियों और चुनौतियों से भरा भी।
सांसद के तौर पर कितनी सैलरी मिलती है कंगना को?
कंगना रनौत ने बताया,
“एक सांसद को मिलने वाली सैलरी महज़ 50 से 60 हजार रुपये प्रति माह होती है। लेकिन काम की मांग इतनी ज़्यादा है कि उस पैसे से कुछ नहीं हो पाता।”
उन्होंने यह भी बताया कि एक संसदीय क्षेत्र में काम करने के लिए गाड़ियों, अधिकारियों और निरंतर यात्राओं में लाखों रुपये तक का खर्च हो जाता है। कई बार क्षेत्र के गांव-गांव तक पहुंचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर करना पड़ता है, और ये सब व्यक्तिगत खर्च से ही करना होता है।
⚖️ राजनीति के साथ क्यों ज़रूरी होती है दूसरी कमाई?
कंगना ने स्वीकार किया कि सिर्फ सांसद की सैलरी से गुज़ारा संभव नहीं। इसलिए देश के कई सांसद अपनी पुरानी प्रोफेशनल लाइफ को साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा:
“जैसे जावेद अख्तर जी, वे राजनीति के साथ-साथ लेखन का काम करते हैं। कई सांसद वकील हैं, कुछ बिजनेस करते हैं। राजनीति के साथ दूसरी नौकरी या पेशा बनाए रखना जरूरी हो जाता है।”
राजनीति का अनुभव: “यह आसान नहीं है”
अपने अब तक के राजनीतिक सफर के बारे में बात करते हुए कंगना ने कहा:
“मैं अब भी राजनीति को समझ रही हूं। यह मेरी ज़िंदगी का सबसे अलग और चुनौतीपूर्ण अनुभव है। राजनीति सामाजिक सेवा है, लेकिन इसका तरीका आम प्रोफेशन से बहुत अलग है।”
कंगना ने यह भी बताया कि लोग जब उनके पास मदद के लिए आते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि वो अपने पैसे से ही उनके काम कराएं।
“लोग कहते हैं — ‘आप सांसद हैं, आपके पास पैसा है, अपने पैसे से काम कराओ’। जबकि हकीकत में सांसद के पास फंड होता है, लेकिन हर काम में व्यक्तिगत खर्च शामिल नहीं हो सकता।”
️ छोटी-छोटी समस्याएं, बड़े फैसले
कंगना के मुताबिक, ज़मीनी राजनीति की असलियत बहुत अलग है। ज़्यादातर लोग पंचायत स्तर की समस्याएं, जैसे टूटी हुई सड़कें, जलनिकासी की दिक्कतें, या स्थानीय अधिकारियों की अनदेखी को लेकर शिकायतें करते हैं।
“यह सोचने की बात है कि एक सांसद के सामने ऐसी समस्याएं आती हैं जिनका हल लोकल लेवल पर होना चाहिए, लेकिन जनता सीधा सांसद को ज़िम्मेदार मानती है।”
कंगना की ईमानदारी ने छेड़ी नई बहस
कंगना रनौत का यह इंटरव्यू सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वाकई भारत में सांसदों की सैलरी इतनी कम है कि उन्हें अन्य पेशों की ज़रूरत होती है?
क्या एक सांसद के लिए व्यक्तिगत संसाधनों से जनता की उम्मीदें पूरी करना उचित है? और सबसे जरूरी सवाल — राजनीति में आने वालों को क्या पहले ही इन चुनौतियों के लिए तैयार होना चाहिए?
निष्कर्ष:
कंगना रनौत का यह बयान एक सांसद की ज़िंदगी की असल चुनौतियों को सामने लाता है। ये दिखाता है कि राजनीति सिर्फ पावर या पॉजिशन का खेल नहीं, बल्कि एक ऐसा रास्ता है जहां पब्लिक सर्विस और निजी बलिदान दोनों साथ चलते हैं।
️ मुख्य बिंदु (Key Highlights):
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कंगना रनौत को बतौर सांसद मिलती है ₹50-60 हजार सैलरी
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संसदीय कार्यों में खर्च होते हैं लाखों रुपये निजी संसाधनों से
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राजनीति के साथ दूसरी नौकरी या पेशा रखना ज़रूरी
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पंचायत स्तर की समस्याएं भी सांसद के सिर पर डाली जाती हैं
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कंगना ने कहा — “राजनीति आसान नहीं, बल्कि एक कठिन सेवा है”