✅ पैडी ट्रांसप्लांटर तकनीक से खेती हुई सस्ती, तेजी से बढ़ा उत्पादन
✅ परंपरागत खर्च ₹7,000 से घटकर सिर्फ ₹400 प्रति एकड़
✅ तकनीक अपनाकर गांव के अन्य किसानों को भी कर रहे प्रेरित
रायपुर, 12 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक तकनीक की ओर बढ़ रहे हैं — और इस बदलाव की एक ज्वलंत मिसाल बने हैं नवागढ़ विकासखंड के ग्राम मुरता के प्रगतिशील किसान श्री संतोष साहू।
श्री साहू ने ‘पैडी ट्रांसप्लांटर’ तकनीक को अपनाकर न केवल अपनी लागत घटाई है, बल्कि उत्पादन में भी बढ़ोतरी की है। आज वे आसपास के किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं और क्षेत्र में कृषि यंत्रीकरण का नया उदाहरण पेश कर रहे हैं।
कम खर्च, ज्यादा मुनाफा:
श्री साहू ने बताया कि पहले पारंपरिक तरीके से धान की रोपाई में प्रति एकड़ 7,000 से 8,000 रुपये तक की मजदूरी लगती थी। लेकिन अब पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से यही काम सिर्फ ₹400–500 प्रति एकड़ में हो जाता है।
“अब समय भी बचता है, मेहनत भी कम लगती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो गई है।”
बढ़िया रोपाई से मजबूत फसल और कीट नियंत्रण:
पैडी ट्रांसप्लांटर तकनीक में पौधों की समान दूरी पर रोपाई होती है, जिससे पौधे ज्यादा स्वस्थ और मजबूत होते हैं। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है — कीट और रोगों का प्रकोप कम, और उपज अधिक।
श्री साहू ने बताया कि इस तकनीक के बाद से उन्हें लगातार बेहतर उत्पादन मिल रहा है, और खेत की स्थिति भी पहले से अधिक संतुलित हो गई है।
दूसरे किसानों की भी कर रहे मदद:
श्री साहू ने अपनी तकनीक का लाभ केवल खुद तक सीमित नहीं रखा। वे अब आसपास के किसानों के खेतों में भी रोपाई का कार्य कर रहे हैं, जिससे गांव में तकनीक के प्रति रुझान और विश्वास बढ़ा है।
सरकारी योजनाओं का भी उठा रहे लाभ:
श्री साहू छत्तीसगढ़ शासन की ‘फसल प्रदर्शन योजना’ के अंतर्गत भी सक्रिय हैं। इस योजना में उन्नत बीज, वैज्ञानिक खेती पद्धति और तकनीकी मार्गदर्शन के माध्यम से किसानों को बेहतर फसल उपज के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु (Key Highlights):
-
✅ पैडी ट्रांसप्लांटर से प्रति एकड़ खर्च घटकर ₹400–500
-
✅ धान की रोपाई में समय और मेहनत की बचत
-
✅ फसल की गुणवत्ता बेहतर, कीट और रोगों का प्रभाव कम
-
✅ दूसरे किसानों को तकनीक अपनाने में कर रहे मदद
-
✅ सरकारी योजनाओं का उपयोग कर उन्नत खेती की दिशा में बढ़ते कदम
निष्कर्ष:
ग्राम मुरता के श्री संतोष साहू जैसे किसान यह साबित कर रहे हैं कि यदि खेती में नवाचार, तकनीक और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग किया जाए, तो खेती भी एक लाभदायक, सम्मानजनक और आत्मनिर्भर व्यवसाय बन सकती है।
वे केवल खुद नहीं बढ़ रहे, बल्कि सामूहिक रूप से पूरे गांव को समृद्धि की दिशा में लेकर जा रहे हैं।