रायपुर: आंगनबाड़ियों में घटिया सामान आपूर्ति पर बड़ी कार्रवाई — मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के सख्त निर्देश पर 6 एजेंसियां ब्लैकलिस्ट, सामग्री की हुई पुनः आपूर्ति

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राज्य स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई

दोषी सप्लायर्स को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) से ब्लैकलिस्ट किया गया

✅ मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत त्वरित और पारदर्शी एक्शन

सभी घटिया सामग्री वापस मंगाकर मानक गुणवत्ता वाली सामग्री भिजवाई गई


रायपुर, 12 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग की सप्लाई श्रृंखला में अनियमितताओं पर सख्त एक्शन लेते हुए छह सप्लाई एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यह कार्रवाई राज्य की आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजे गए घटिया गुणवत्ता के सामान की शिकायतों के बाद की गई।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के निर्देश पर गठित राज्य स्तरीय जांच समिति ने दोषियों की पहचान कर रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर यह कड़ा कदम उठाया गया।


कैसे हुआ खुलासा?

बच्चों और महिलाओं के लिए आंगनबाड़ियों में भेजी गई सामग्रियों की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिलने के बाद, मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने तत्काल एक उच्चस्तरीय जांच समिति के गठन का आदेश दिया। इस समिति में शामिल थे:

  • संयुक्त संचालक (वित्त),

  • सीएसआईडीसी व जीईसी रायपुर के तकनीकी प्रतिनिधि,

  • संबंधित जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी,

  • सहायक संचालक (आईसीडीएस),

  • स्वतंत्र तकनीकी निरीक्षण एजेंसियां: SGS इंडिया और IRCLASS सिस्टम्स

इस समिति ने रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जशपुर, सरगुजा और जांजगीर-चांपा जैसे प्रमुख जिलों में जाकर भौतिक निरीक्षण और गुणवत्ता परीक्षण किया।


⚠️ दोषी पाई गई 6 एजेंसियां:

  1. मेसर्स नमो इंटरप्राइजेस

  2. मेसर्स आयुष मेटल

  3. मेसर्स अर्बन सप्लायर्स

  4. मेसर्स मनीधारी सेल्स

  5. मेसर्स ओरिएंटल सेल्स

  6. मेसर्स सोनचिरैया कॉर्पोरेशन

इन सभी एजेंसियों को GeM पोर्टल से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। अब ये भविष्य में किसी भी शासकीय सप्लाई में भाग नहीं ले सकेंगी।


कहां-कहां मिली गड़बड़ी?

  • अनाज कोठी: ISI मानकों के अनुरूप नहीं मिली — नमो इंटरप्राइजेस और आयुष मेटल दोषी

  • स्टील ट्रे: साइज और वजन में भिन्नता — अर्बन सप्लायर्स, मनीधारी सेल्सओरिएंटल सेल्स

  • तवा: बेहद हल्का और कमजोर गुणवत्ता — सोनचिरैया कॉर्पोरेशन

  • टेबल: कुछ स्थानों पर असेंबल न होने की शिकायतें

  • अन्य सामग्री (कुकर, चम्मच, गिलास, अलमारी): अधिकतर जगहों पर मानक के अनुरूप

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि घटिया माल की सप्लाई पर कोई भुगतान नहीं किया गया। भुगतान की प्रक्रिया केवल गुणवत्ता जांच रिपोर्ट के बाद ही होती है, जिससे भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रहती।


️ सुधारात्मक कदम क्या उठाए गए?

  • सभी दोषपूर्ण सामग्री वापस मंगवाई गई

  • एजेंसियों को नवीन, मानक सामग्री पुनः आपूर्ति करने का निर्देश

  • भविष्य में ऐसी गड़बड़ी न हो इसके लिए सप्लाई चेन और तकनीकी निरीक्षण को और मजबूत किया जा रहा है


सरकार का स्पष्ट संदेश: बच्चों और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं में कोई समझौता नहीं

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार की नीति “जीरो टॉलरेंस” की है।
उन्होंने बार-बार दोहराया है कि बच्चों, महिलाओं और गरीबों के अधिकारों और सेवाओं से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने भी इस मसले पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“हमारी प्राथमिकता है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों और महिलाओं तक सिर्फ सुरक्षित, टिकाऊ और गुणवत्तापूर्ण सामग्री पहुंचे। हमने पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई की है और आगे भी ऐसी लापरवाहियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”


क्या है सच? मीडिया रिपोर्ट्स में भ्रम

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि खरीदी गई सामग्री की लागत ₹40 करोड़ थी, जिसे विभाग ने स्पष्ट रूप से खारिज किया।
विभाग के अनुसार वर्ष 2024–25 में ₹23.44 करोड़ की सामग्री ही खरीदी गई थी और वह भी GeM पोर्टल के माध्यम से पूरी पारदर्शिता के साथ।


निष्कर्ष:

छत्तीसगढ़ सरकार ने यह कार्रवाई करके स्पष्ट संदेश दे दिया है कि जनहित से जुड़ी किसी भी योजना में लापरवाही नहीं चलेगी। जांच, सुधार और सख्त कार्रवाई का यह उदाहरण प्रशासनिक पारदर्शिता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रमाण है।

यह एक बड़ी सीख भी है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गुणवत्ता पर निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।

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