₹1.18 करोड़ के इनामी 23 खूंखार नक्सलियों ने सुकमा में किया आत्मसमर्पण
15 महीनों में 1,521 नक्सली हथियार छोड़ चुके, लोकतंत्र में जताया विश्वास
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बोले — “अब बंदूक नहीं, विकास बोलेगा!”
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में एक नया सूरज उग रहा है — जहां कल तक बंदूकें गरजती थीं, वहां आज लोकतंत्र की आवाज़ गूंज रही है। सुकमा से शुरू हुआ यह बदलाव अब पूरे बस्तर में उम्मीद की रोशनी फैला रहा है।
पिछले 24 घंटों में 45 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से 23 नक्सली अकेले सुकमा जिले से हैं, जिन पर कुल मिलाकर ₹1.18 करोड़ का इनाम घोषित था।
✅ ये आत्मसमर्पण नहीं, नए विश्वास की दस्तक है
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक घटनाक्रम पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, विश्वास की जीत है — वह विश्वास, जो हमारी सरकार ने योजनाओं और जनसंवाद के माध्यम से बस्तर के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाया है। अब यहां बंदूक की गोली नहीं, विकास की बोली गूंज रही है।”
आंकड़ों में बदलाव: 15 महीने में 1,521 नक्सलियों ने छोड़ी हिंसा
राज्य सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़े एक नई बस्तर गाथा सुना रहे हैं:
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पिछले 15 महीनों में कुल 1,521 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं
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आत्मसमर्पण करने वालों में कई शीर्ष रैंक के कमांडर और वर्षों से सक्रिय हार्डकोर नक्सली शामिल हैं
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राज्य सरकार की “नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025” के तहत इन्हें सामाजिक सम्मान, सुरक्षा, पुनर्वास और रोजगार के अवसर भी दिए जा रहे हैं
विकास की राह पर लौटता बस्तर
सरकार की जनहित योजनाएं, जैसे कि:
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नियद नेल्ला नार (यानी “हमारे गांव की बात”),
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स्थानीय भाषा में शिक्षा,
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सड़क, स्वास्थ्य, और रोज़गार परियोजनाएं
…ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार के प्रति विश्वास की नई नींव रखी है।
मुख्यमंत्री साय ने दो टूक कहा — “यह परिवर्तन यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में संचालित सुशासन और सुरक्षा के मॉडल का परिणाम है।”
नक्सल-मुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य
राज्य सरकार अब बस्तर को पूरी तरह नक्सलमुक्त करने के अपने मिशन को समयबद्ध और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में:
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बस्तर के प्रत्येक गांव में विकास पहुंचेगा
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युवाओं को हथियार नहीं, हुनर मिलेगा
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शांति, सुरक्षा और सम्मान की भावना हर नागरिक में घर करेगी
क्यों है यह खबर ऐतिहासिक?
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23 इनामी नक्सली एक ही दिन में आत्मसमर्पण — यह छत्तीसगढ़ पुलिस और प्रशासन की बड़ी सफलता है
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बस्तर में अब नक्सल नहीं, नई बस्तर पहचान बन रही है — लोकतंत्र, विकास और जन भागीदारी की
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यह घटना बस्तर के हजारों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जिन्होंने दशकों से हिंसा और भय का सामना किया
✨ निष्कर्ष:
बस्तर अब खून, हिंसा और बारूदी सुरंगों का नहीं, बल्कि शांति, स्कूल, सड़क और समावेश का प्रतीक बन रहा है।
छत्तीसगढ़ में चल रहा यह परिवर्तन सिर्फ एक प्रशासनिक जीत नहीं, बल्कि एक सभ्य समाज की वापसी की घोषणा है।