अवैध रेत खनन पर विधानसभा में बवाल: स्थगन प्रस्ताव खारिज होने पर विपक्ष का वॉकआउट

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रेत माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले – “सरकार माफियाओं की जेब में”

रायपुर, 16 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन में अवैध रेत खनन का मुद्दा गरमा गया। विपक्ष द्वारा लाया गया स्थगन प्रस्ताव नामंजूर किए जाने पर कांग्रेस विधायकों ने गंभीर नाराजगी जताते हुए वॉकआउट कर दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, खरसिया विधायक उमेश पटेल, भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव सहित विपक्षी विधायकों ने सरकार पर रेत माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाया।


विपक्ष का आरोप: “पूजनीय नदियां रेत माफियाओं के निशाने पर”

शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने प्रदेशभर में फैले अवैध रेत खनन पर स्थगन प्रस्ताव लाया। कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि—

“जिन नदियों की पूजा होती है, उन्हें अब रेत के लिए छलनी किया जा रहा है।”

खरसिया विधायक उमेश पटेल ने कहा कि उन्होंने बार-बार पत्राचार किया, लेकिन न तो मंत्री और न ही कलेक्टर स्तर पर कोई संज्ञान लिया गया।
देवेंद्र यादव ने कहा:

“बिना रॉयल्टी के रेत निकाली जा रही है। आम जनता त्रस्त है। ठेकेदार विरोध करने वालों को धमका रहे हैं।”


भूपेश बघेल का हमला: “रेत माफिया चला रहे हैं सरकार”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में तल्ख़ तेवर दिखाते हुए कहा:

“रेत माफिया ने सरकार को अपनी जेब में डाल लिया है। गुंडागर्दी कर नदियों को खाली करने का षड्यंत्र चल रहा है।”

उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कर स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए।


अध्यक्ष ने प्रस्ताव किया खारिज, विपक्ष का हंगामा और वॉकआउट

विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव खारिज करते हुए कहा:

“प्रस्ताव समय पर नहीं दिया गया है, अतः इसे अग्राह्य (inadmissible) किया जाता है।”

इस पर विपक्षी विधायक नाराज़ हो गए और सरकार पर रेत माफियाओं को संरक्षण देने के नारे लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर गए।


पृष्ठभूमि: क्यों गरमा रहा है रेत खनन का मुद्दा?

  • प्रदेश में 2000 से अधिक अवैध रेत खनन स्थलों की बात विपक्ष ने उठाई।

  • स्थानीय लोगों की शिकायत है कि रेत की उपलब्धता कम, लेकिन कीमतें आसमान छू रही हैं

  • ठेकेदारों पर आरोप है कि विरोध करने पर धमकी और मारपीट की जाती है।


सरकार की स्थिति

राज्य सरकार पहले ही अवैध रेत खनन पर सख्त कार्रवाई और नई पारदर्शी रेत नीति की घोषणा कर चुकी है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक:

  • 2024-25 में 6,331 अवैध रेत खनन प्रकरण दर्ज हुए।

  • ₹18 करोड़ से अधिक की वसूली हुई, 184 मशीनें जब्त की गईं।

  • 56 एफआईआर और 57 न्यायालयीन परिवाद दर्ज किए गए।

फिर भी विपक्ष का आरोप है कि यह केवल कागज़ी कार्रवाई है, जमीनी हकीकत इससे अलग है।


निष्कर्ष:

छत्तीसगढ़ विधानसभा में अवैध रेत खनन पर हुआ हंगामा एक बार फिर इस मुद्दे की गंभीरता और व्यापकता को उजागर करता है। विपक्ष इसे पर्यावरण और जनहित से जुड़ा मसला मानते हुए राजनीतिक साजिश का रूप मान रहा है, जबकि सरकार इसे प्रक्रियात्मक कारणों से खारिज बता रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासत और गरमाने की पूरी संभावना है।

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