खेतों में बोए गए बीजों की गुणवत्ता पर सवाल, अमानक बीज से फसल प्रभावित होने की आशंका
रायपुर, 16 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में खरीफ सीजन के लिए बोए गए बीजों की जांच रिपोर्ट ने किसानों की चिंताओं को गहरा कर दिया है। कृषि विभाग द्वारा लिए गए 196 बीज नमूनों में से 4 बीज अमानक पाए गए हैं, जबकि 25 नमूनों की रिपोर्ट अब भी लंबित है। चिंता की बात यह है कि जिन लॉट के बीज अमानक निकले, वे पहले ही कई किसान अपने खेतों में बो चुके हैं।
क्या कहती है जांच रिपोर्ट?
श्रेणी | लक्ष्य | नमूने लिए गए | मानक | अमानक | लंबित |
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बीज | 220 | 196 | 167 | 4 | 25 |
कीटनाशक | 137 | 25 | 10 | 1 | 14 |
रासायनिक खाद | 224 | 102 | 50 | 0 | 52 |
जैविक खाद | 48 | 20 | 3 | 0 | 17 |
बीज तो बो दिए, अब क्या होगा?
जिन बीजों को मानक से नीचे पाया गया, वे पहले ही किसानों द्वारा खेतों में बो दिए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि ये बीज फसल देने में सक्षम नहीं हुए या गुणवत्ता में कमी रही, तो किसान भारी नुकसान झेलेंगे।
कृषि विभाग ने भले ही इन बीजों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन यह निर्णय इतनी देर से आया कि इसका असर अब केवल रिपोर्ट तक ही सीमित रह गया है।
⌛ हर साल की वही कहानी: देरी से आती रिपोर्ट
यह कोई पहला मौका नहीं है। हर साल खरीफ और रबी सीजन में यही स्थिति दोहराई जाती है।
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बीजों की बिक्री पहले होती है
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नमूने बाद में लिए जाते हैं
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और रिपोर्ट तब आती है जब बीज खेतों में बो दिए जाते हैं।
इस देरी का खामियाजा किसानों को गुणवत्ताहीन फसल और आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है।
⚠️ उर्वरक और कीटनाशक भी सवालों के घेरे में
बीजों के अलावा कीटनाशक और उर्वरकों की गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में है:
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कीटनाशक के 25 नमूनों में केवल 10 मानक स्तर के निकले, एक अमानक मिला और 14 की रिपोर्ट अभी लंबित है।
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102 रासायनिक खाद के नमूनों में से 50 अमानक पाए गए।
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जैविक खाद के 20 में से केवल 3 ही मानक स्तर के मिले हैं।
इन आंकड़ों से साफ है कि किसानों को गुणवत्ता युक्त इनपुट नहीं मिल रहे हैं, जो सीधे उत्पादन और आमदनी को प्रभावित करते हैं।
️ कृषि विभाग का तर्क: जांच रिपोर्ट आने में समय लगता है
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि लैब से रिपोर्ट देर से आती है, इसलिए बिक्री पर समय रहते रोक लगाना संभव नहीं होता। लेकिन विशेषज्ञों और किसानों का सवाल है —
“जब ये समस्या हर साल होती है तो सुधार की दिशा में ठोस पहल क्यों नहीं की जाती?”
किसानों की मांग: पारदर्शी व्यवस्था और मुआवज़ा प्रणाली
किसानों का कहना है कि:
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बीज बेचने से पहले प्रमाणित जांच अनिवार्य की जाए।
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अमानक बीज से नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा योजना बने।
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जांच प्रक्रिया को डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
निष्कर्ष:
हर साल की तरह इस बार भी देरी से आई जांच रिपोर्ट ने कृषि व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। जब तक बीज, उर्वरक और कीटनाशक की गुणवत्ता खरीद और बोआई से पहले सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक किसान अनिश्चितता और नुकसान के शिकार होते रहेंगे।