विधानसभा में अजय-देवेंद्र के बीच तीखी नोकझोंक: अध्यक्ष रमन सिंह ने लगाई फटकार, बोले – “यह सड़क नहीं है”

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जल जीवन मिशन पर भी गरमाया सदन, विपक्ष ने लगाए आंकड़े छुपाने के आरोप, किया वॉकआउट

रायपुर, 16 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के दो मुखर विधायकों अजय चंद्राकर (भाजपा) और देवेंद्र यादव (कांग्रेस) के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। मामला इतना बढ़ा कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को बीच में हस्तक्षेप कर दोनों को सख्त लहजे में चेतावनी देनी पड़ी।


“ये सड़क नहीं है जहाँ खड़े होकर भाषण दो” — डॉ. रमन सिंह

प्रश्नकाल के दौरान राज्य स्तरीय उच्चपावर समिति की अनुशंसा और सरकारी ठेकों की पारदर्शिता को लेकर चर्चा चल रही थी। इस दौरान अजय चंद्राकर ने प्रश्न उठाया, जिस पर कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। दोनों नेता एक-दूसरे की ओर इशारा कर जोर-जोर से बोलने लगे।

इस पर नाराज विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा:

“विधानसभा कोई सड़क नहीं है जहां खड़े होकर भाषण दिए जाएं। आप दोनों एक-दूसरे को देखकर नहीं, आसंदी को देखकर बात रखें। पूरा छत्तीसगढ़ इस प्रश्नकाल को देख रहा है। व्यवहार मर्यादित होना चाहिए।”

उन्होंने दोनों पक्षों को शांत रहने और विधायी गरिमा बनाए रखने की नसीहत दी।


जल जीवन मिशन पर भी गरमाया सदन, विपक्ष ने किया वॉकआउट

इससे पहले सदन में जल जीवन मिशन के अंतर्गत नल कनेक्शनों की संख्या और खर्च को लेकर भी जबरदस्त बहस हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा:

“राज्य में भाजपा सरकार के 17 महीने में कितने घरों तक नल कनेक्शन पहुंचे और इस पर कितनी राशि खर्च की गई?”

इसके जवाब में PHED मंत्री अरुण साव ने कहा:

“सरकार ने 17 महीने में 10 लाख नल कनेक्शन दिए हैं।”

लेकिन विपक्ष ने इन आंकड़ों को झूठा और वास्तविकता से परे बताया। नाराज होकर कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया


क्या है विवाद की जड़?

  • राज्य स्तरीय उच्चपावर समिति के तहत ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के आरोप विपक्ष ने लगाए हैं।

  • विपक्ष का आरोप है कि कई मामलों में नियमों को ताक पर रखकर ठेके दिए गए।

  • वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि प्रक्रिया पारदर्शी है और पिछली सरकार से बेहतर काम हो रहा है।


राजनीतिक विश्लेषण: सत्र के शुरुआती दिनों में ही माहौल गरम

विधानसभा का यह मानसून सत्र अभी शुरुआत में ही है, और दो दिन में ही विपक्ष-सरकार आमने-सामने हैं।

  • पहले दिन मिलावटी शराब और अवैध कब्जे पर सवाल खड़े हुए

  • और दूसरे दिन ठेके, जल आपूर्ति और नोकझोंक ने सदन की गरिमा को चुनौती दी।


निष्कर्ष: गरम माहौल में कैसे चलेगी गंभीर बहस?

छत्तीसगढ़ विधानसभा में जो दृश्य मंगलवार को देखने को मिले, वह बताता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा अब शब्दों की मर्यादा को लांघ रही है
जहां एक ओर सवाल उठाना विपक्ष का अधिकार है, वहीं सत्ता पक्ष को भी तथ्यों और शांति से जवाब देना चाहिए
विधानसभा अध्यक्ष की फटकार इसी संकेत की ओर इशारा करती है — जनता सब देख रही है।

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