ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल समेत 14 लोगों को बताया दोषी, अब तक 11 गिरफ्तार
रायपुर/दंतेवाड़ा, 15 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले की जांच तेजी पकड़ चुकी है। राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने विशेष न्यायालय दंतेवाड़ा में इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में 14 आरोपियों के खिलाफ करीब 4500 पन्नों का चालान पेश किया है।
इस मामले में तत्कालीन वनमंडलाधिकारी (DFO) अशोक कुमार पटेल सहित 11 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।
क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला?
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि वर्ष 2021-22 में तेंदूपत्ता संग्राहकों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन बोनस में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और गबन हुआ।
EOW की जांच रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन DFO अशोक पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वन विभाग के अधिकारियों, लघु वनोपज समितियों के प्रबंधकों और पोषक अधिकारियों के साथ मिलकर लगभग 7 करोड़ रुपये की बंदरबांट की।
अब तक 4 करोड़ से अधिक के गबन की पुष्टि
अब तक की जांच में 17 समितियों में से 8 दूरस्थ समितियों की गतिविधियों की पड़ताल हुई है, जिनमें लगभग 3.92 करोड़ रुपये के गबन की पुष्टि हो चुकी है।
इस राशि को संग्राहकों को मिलने वाले बोनस के नाम पर हड़प लिया गया और शासन को भारी आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।
इन 14 आरोपियों के खिलाफ पेश हुआ चालान:
EOW ने जिन आरोपियों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान दाखिल किया है, उनमें शामिल हैं:
वन विभाग के अधिकारी:
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अशोक कुमार पटेल (तत्कालीन DFO)
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चैतूराम बघेल (पोषक अधिकारी)
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देवनाथ भारद्वाज (वनकर्मी)
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मनीष कुमार बारसे (वनकर्मी)
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पोड़ियामी इड़िमा उर्फ हिडमा (वनकर्मी)
समिति प्रबंधक:
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पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु
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मोह. शरीफ
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सीएच रमना (चिटटूरी)
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सुनील नुप्पो
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रवि कुमार उर्फ रवि कुमार गुप्ता
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आयतू कोरसा
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मनोज कवासी
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राजशेखर पुराणिक उर्फ राजू
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बी. संजय रेड्डी
ग्रामीण बोले – हमें तो बोनस की जानकारी ही नहीं थी
जांच में सामने आया कि जिन दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहक रहते हैं, वहां के लोग बोनस योजना से ही अनभिज्ञ थे।
जैसे कि मड़ईगुड़ा, गोलापल्ली, किस्टाराम, जगरगुंडा, चिंतलनार, चिंतागुफा, भेज्जी, कोंटा और पोलमपल्ली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ईओडब्ल्यू की टीम जब पहुंची, तो ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कभी बोनस की राशि या जानकारी नहीं मिली।
ग्रामीणों की गवाही ने इस घोटाले को और भी गंभीर बना दिया है।
जांच अब भी जारी है – और भी खुलासे संभावित
ईओडब्ल्यू ने बताया कि यह घोटाला अभी और व्यापक हो सकता है, क्योंकि 9 अन्य समितियों की जांच अभी बाकी है।
भविष्य में अधिक गिरफ्तारी और अधिक सरकारी धन के गबन का खुलासा हो सकता है।
तेंदूपत्ता – आदिवासी जीवन की रीढ़
यह ध्यान देने योग्य है कि बस्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में तेंदूपत्ता संग्रहण ही आजीविका का मुख्य आधार है।
ऐसे में संग्राहकों के हिस्से का बोनस हड़प लेना, सिर्फ आर्थिक अपराध ही नहीं, बल्कि आदिवासियों के जीवन पर सीधा हमला है।
मुख्य बिंदु (Highlights):
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4500 पन्नों का चालान विशेष न्यायालय में पेश
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14 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज, 11 गिरफ्तार
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अब तक 3.92 करोड़ रुपये का गबन सिद्ध
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बोनस योजना से अनभिज्ञ रहे दूरस्थ ग्रामीण
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जांच अभी जारी – और बड़े खुलासों की संभावना
यह मामला छत्तीसगढ़ में वन विभाग की कार्यप्रणाली, प्रोत्साहन योजनाओं की निगरानी, और आदिवासी हितों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब देखना होगा कि कोर्ट इस घोटाले पर क्या रुख अपनाता है और शासन इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।