रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने पेंशनधारियों की पेंशन अदायगी के लिए एक पेंशन फंड बनाने की तैयारी की है। खास बात ये है कि इस फंड में सरकार 450 करोड़ रुपए लगाएगी। इसके साथ ही इस फंड की राशि का कुछ हिस्सा मार्केट में भी निवेश किया जाएगा।
राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में पेंशन व्यवस्था को मजबूत और दीर्घकालिक बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। हाल ही में विधानसभा में छत्तीसगढ़ पेंशन निधि विधेयक 2025 पारित किया गया है। जानकारों का मानना है कि यह पहली बार है जब राज्य में इस तरह की पेंशन निधि व्यवस्था लागू की जा रही है। इस पहल से राज्य सरकार पर पेंशन भुगतान के चलते पड़ने वाले वित्तीय बोझ में काफी हद तक राहत मिलेगी।
भविष्य के पेंशन दायित्वों के लिए सुरक्षित होगी राशि
यह विशेष निधि मुख्यतः भविष्य में होने वाले पेंशन और अन्य सेवानिवृत्त लाभों के भुगतान के लिए तैयार की गई है। यह व्यवस्था पेंशन व्यवस्था को अधिक आत्मनिर्भर और वित्तीय रूप से सुरक्षित बनाएगी।
20 प्रतिशत तक की वृद्धि का वहन करेगी सरकार, उससे अधिक फंड से भुगतान
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि अगर किसी वित्तीय वर्ष में पेंशन भुगतान में वृद्धि 20 प्रतिशत से अधिक होती है, तो वह अतिरिक्त भार इस निधि से उठाया जाएगा। जबकि 20 प्रतिशत तक की वृद्धि का बोझ राज्य सरकार की संचित निधि से वहन किया जाएगा। साथ ही, यदि आवश्यक समझा गया तो सरकार पिछले वर्षों में किए गए निवेशों से प्राप्त अर्जित आय का अधिकतम 10 प्रतिशत भी पेंशन भुगतान के लिए उपयोग कर सकेगी।
निवेश होगा सरकारी प्रतिभूतियों व ट्रेजरी बिल्स में
विधेयक के अनुसार, इस निधि की शेष राशि का निवेश भारत सरकार की प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिल्स, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों या अन्य अधिकृत माध्यमों में किया जाएगा। इससे निधि सुरक्षित भी रहेगी और बेहतर रिटर्न भी प्राप्त होगा।
1.45 लाख पेंशनर्स, 4.10 लाख सरकारी कर्मचारी
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लगभग 1.45 लाख पेंशनभोगी हैं, जबकि राज्य में 4.10 लाख से अधिक सरकारी सेवक कार्यरत हैं। आने वाले महीनों में बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे पेंशन भुगतान का भार और बढ़ेगा। ऐसे में यह पेंशन निधि राज्य की वित्तीय संरचना को संतुलित रखने में सहायक होगी।
हर साल पेंशन फंड में होगा 5% तक निवेश
विधेयक में यह भी उल्लेख है कि पिछले वित्तीय वर्ष के कुल पेंशन भुगतान का अधिकतम 5 प्रतिशत हर वर्ष पेंशन फंड में ट्रांसफर किया जाएगा। हालांकि, राज्य सरकार अपने संसाधनों और वित्तीय स्थिति के अनुसार इस सीमा को आपातकालीन परिस्थितियों में बढ़ा भी सकती है।