स्टेशनों के री-मॉडिफिकेशन के बाद रेलवे एसी वेटिंग हॉल में प्रति व्यक्ति प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज वसूल रहा है। मध्य-पूर्व रेलवे(ईसीआर) जोन के गोंदिया और उसलापुर में इसके लिए पांच-पांच साल का टेंडर तक किया गया है, जहां ठेकेदार प्रति व्यक्ति 20 और बच्चों से 12 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से ले रहे हैं।
नई व्यवस्था अमृत भारत के तहत स्टेशनों के री-मॉडिफिकेशन के बाद शुरू की गई है। स्टेशनों में रेलवे ने एयरपोर्ट की तरह एसी लाउंज बनाया है। वेटिंग रूम में चार्ज लेने की ये व्यवस्था तब तक ठीक है, जब तक ट्रेन समय पर चल रही हैं। लेट होने की स्थिति में रुपए देने वाले यात्री खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्हें ट्रेनों के इंतजार के लिए उन्हें अलग से और रुपए खर्च करना पड़ रहा है।
अमृत भारत योजना के तहत बने AC वेटिंग हॉल में 20 रुपये प्रति घंटे चार्ज; ट्रेनें घंटों लेट, लेकिन छूट नहीं!
रेलवे स्टेशनों के री-मॉडिफिकेशन के बाद अब एसी वेटिंग हॉल में बैठने के लिए यात्रियों से हर घंटे का शुल्क वसूला जा रहा है। ये नई व्यवस्था मध्य-पूर्व रेलवे (ईसीआर) जोन के स्टेशनों जैसे गोंदिया और उसलापुर में लागू की गई है, जहां ठेकेदारों को पांच साल के अनुबंध पर यह सुविधा दी गई है। इन हॉल्स में यात्रियों से प्रति व्यक्ति 20 रुपये और बच्चों से 12 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से शुल्क लिया जा रहा है।
हालांकि यह सुविधा ऑप्शनल है और यात्रियों की सहूलियत के लिए शुरू की गई है, लेकिन जब ट्रेनें घंटों देरी से चलती हैं, तब यही सुविधा यात्रियों के लिए जेब पर बोझ बन जाती है। लेट ट्रेनों के कारण लंबा इंतजार कर रहे यात्री खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
रेलवे ने यह व्यवस्था अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत की है, जिसमें स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इन एसी वेटिंग हॉल्स को ‘एयरपोर्ट लाउंज’ की तर्ज पर विकसित किया गया है, लेकिन रेलवे की तुलना एयरपोर्ट से करना तब सवालों के घेरे में आ जाता है जब समय पर ट्रेन चलना अब एक ‘अपवाद’ बन गया है।
सीपीआरओ का तर्क
विपुल विलास राव, सीपीआरओ, बिलासपुर ने कहा कि “यह एक अतिरिक्त सुविधा है, जिसे यात्री अपनी जरूरत के अनुसार चुन सकते हैं। सामान्य फर्स्ट और सेकंड क्लास यात्रियों के लिए पारंपरिक वेटिंग रूम पहले की तरह मुफ्त हैं।”
लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं?
पिछले 5 महीनों में करीब 1800 ट्रेनें 1 घंटे या उससे अधिक देरी से चलीं। यानी हर महीने औसतन 350 से ज्यादा ट्रेनें लेट हुईं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब ट्रेनें समय पर नहीं हैं, तो यात्रियों से हर घंटे का शुल्क वसूलना कितना न्यायसंगत है?
पहले से कई बड़े स्टेशनों में वसूली
देश के कई बड़े रेलवे स्टेशनों पर यह व्यवस्था पहले से लागू है। मुंबई, हावड़ा, कटनी, भागलपुर, पलक्कड़, कोझिकोड, कन्नूर और मैंगलोर सेंट्रल जैसे स्टेशनों पर प्रति घंटे 10 से 50 रुपये तक का चार्ज लिया जा रहा है।
विशेषज्ञ की राय
सुधांशु मणि, सेवानिवृत्त जीएम, भारतीय रेल एवं वंदे भारत प्रोजेक्ट के लीडर कहते हैं,
“रेलवे अपनी आय बढ़ाने के लिए यह सुविधा दे रहा है, ऐसे में छूट देना तो मुश्किल है। लेकिन ट्रेनें समय पर नहीं चलेंगी तो लोगों में नाराजगी बढ़ेगी।
अगर रेलवे लेट ट्रेनों पर छूट देना शुरू करता है, तो यह प्रशासनिक रूप से एक जटिल प्रक्रिया बन जाएगी क्योंकि ट्रेन के आगमन समय में हर पल बदलाव होता है। बेहतर यही होगा कि रेलवे समयबद्धता सुनिश्चित करे। यात्रियों को ‘सर्विस’ दें, ‘सर्विस चार्ज’ नहीं।”