राजधानी रायपुर जलसंकट में डूबी: आधे घंटे की तेज बारिश ने खोली सिस्टम की पोल, सड़कों से लेकर घरों तक घुसा पानी!

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रायपुर। राजधानी में बुधवार दोपहर आई तेज बारिश ने नगर निगम की तैयारियों और जल निकासी व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी। करीब साढ़े बारह बजे शुरू हुई महज आधे घंटे की बारिश ने पूरे शहर को पानी-पानी कर दिया। प्रमुख सड़कें हों या कॉलोनियों की गलियां—हर तरफ वॉटर लॉगिंग की स्थिति बन गई। बारिश के बाद हालात इतने बदतर हो गए कि कई इलाकों में सड़कें दरिया में तब्दील हो गईं और घर तक पानी से नहीं बच सके।

बारिश शुरू होते ही अमापारा से अग्रसेन चौक तक की सड़क पर दो फीट तक पानी भर गया। डिवाइडर के एक तरफ पूरा मार्ग तालाब की तरह नजर आने लगा। वाहन चालक घंटों तक फंसे रहे और पैदल राहगीरों के लिए रास्ता पार करना किसी चुनौती से कम नहीं रहा।

मोतीबाग चौक स्थित यूनियन क्लब के सामने तो हालात इतने खराब हो गए कि वहां नगर निगम के कर्मचारियों को डिवाइडर तोड़कर पानी निकालने के लिए रास्ता बनाना पड़ा। बूढ़ातालाब गणेश मंदिर के पास की सड़कें भी जलभराव का शिकार रहीं। प्रोफेसर कॉलोनी के सुमेरु मठ के पास गली में भी भारी पानी जमा हो गया, जिससे स्थानीय लोग खासे परेशान नजर आए।

शहर के सबसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र नगर निगम मुख्यालय और इंटर स्टेट बस टर्मिनल के सामने भी जलभराव की स्थिति बनी रही। जिस निगम को पूरे शहर की जल निकासी की व्यवस्था देखनी चाहिए, वही खुद पानी में घिरा मिला।

राजेंद्र नगर के नाले की स्थिति तो और भी चिंताजनक रही। बुधवार को एमआईसी सदस्य अमर गिदवानी ने मौके का मुआयना किया और जोन-4 के अफसरों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने नाले की सफाई नहीं होने को लेकर सख्त नाराज़गी जताई और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।

यह पहली बारिश नहीं थी, लेकिन इससे साफ जाहिर हो गया कि राजधानी में जल निकासी व्यवस्था किस हद तक लचर है। हर बार मानसून के पहले नगर निगम दावे करता है कि नालों की सफाई की गई है, लेकिन जमीनी सच्चाई बारिश की हर बूंद के साथ सामने आ जाती है। निचले इलाकों में रहने वाले नागरिकों को हर साल ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ये सिर्फ बारिश नहीं थी, बल्कि एक चेतावनी है—अगर समय रहते जिम्मेदार विभाग नहीं जागे, तो कुछ मिनट की बारिश भी आने वाले दिनों में शहर को पूरी तरह पंगु बना सकती है।

अब सवाल उठता है कि क्या हर बार ऐसे ही सड़कों पर नाव चलाने की नौबत आएगी? या जिम्मेदार एजेंसियां समय रहते स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाएंगी?

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