“शहरों पर 1000 करोड़ का बिजली बिल बकाया: ऑडिट के लिए नागपुर की फर्म को सौंपी जिम्मेदारी”!

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय अब बिजली बिल के भारी बोझ से राहत की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। प्रदेश के सभी 184 नगर निगमों, नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों में बिजली खपत और भुगतान प्रणाली का व्यापक एनर्जी ऑडिट कराया जाएगा। इसके लिए नागपुर स्थित डीआर कंसल्टेंट नामक कंपनी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस फैसले का उद्देश्य प्रदेश के शहरी निकायों पर लदे 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा के बिजली बिल बकाया की असल वजहों की पहचान करना और उसे कम करने की रणनीति बनाना है।


क्यों जरूरी हुआ एनर्जी ऑडिट?

निकायों के पास आमदनी सीमित है, जबकि पेयजल आपूर्ति, स्ट्रीट लाइटिंग और अन्य मूलभूत सेवाओं के लिए बड़ी संख्या में बिजली कनेक्शन लिए गए हैं। लगातार बढ़ती खपत और अनियमित बिलिंग से बकाया लगातार बढ़ता गया। इतना ही नहीं, सरचार्ज और एरियर के रूप में निकायों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे इनका रोजमर्रा का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।


कैसे होगा ऑडिट?

  • हर नगर निगम में नोडल और सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।

  • नगरपालिकाओं और पंचायतों में सीएमओ और वरिष्ठ अभियंता यह जिम्मेदारी निभाएंगे।

  • ऑडिट मिशन मोड पर पूरा किया जाएगा।

  • संबंधित निकायों को 25 जुलाई तक मीटर, संपत्ति, वार्ड, बीपी नंबर और संबंधित कर्मियों की जानकारी देनी होगी।


जियोग्राफिकल डेटा से होगी सटीक जांच

ऑडिट एजेंसी GIS तकनीक से पूरे प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में लगे बिजली मीटरों का जियोग्राफिकल डेटा तैयार करेगी। इससे बोरवेल, स्ट्रीट लाइट, वाटर प्यूरीफिकेशन और सीवरेज प्लांट्स जैसी सुविधाओं में बिजली की वास्तविक खपत और संभावित अपव्यय का विश्लेषण किया जाएगा।


सोलर ऊर्जा की तरफ बढ़ेगा निकायों का रुख

सरकार का फोकस अब सोलर एनर्जी पर भी है। भविष्य में कई निकाय अपनी बिजली जरूरतों को सोलर के जरिए पूरा करने की दिशा में कार्य करेंगे।


ऑडिट से क्या फायदा?

  • वास्तविक बिजली खपत की पहचान

  • अनावश्यक सरचार्ज से मुक्ति

  • अनियमितताओं का पता

  • व्यर्थ बिजली उपयोग की रोकथाम

  • निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार

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