नवा रायपुर में दर्दनाक हादसा: तेज़ रफ्तार बाइक डिवाइडर से टकराई, मंत्री केदार जतनु यादव के भतीजे की मौके पर मौत!

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रायपुर।
राजधानी के नवा रायपुर में बुधवार सुबह हुए भीषण सड़क हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यहां की चौड़ी और खाली सड़कों पर हाईस्पीड का जुनून जानलेवा बन चुका है। इस बार हादसे की चपेट में आया वन मंत्री केदार कश्यप का 22 वर्षीय भतीजा निखिल कश्यप, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसा इतना भयावह था कि बाइक डिवाइडर की लोहे की जाली और 6 खंभे तोड़ते हुए करीब 150 मीटर तक घिसटती चली गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, उस वक्त तीन बाइकों पर सवार छह युवक रेस कर रहे थे। निखिल की बाइक 140 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ रही थी, तभी एक मोड़ पर बैलेंस बिगड़ा और वह सीधा डिवाइडर से जा टकराया। उसके साथ बाइक पर बैठा श्रीसम गंजीर गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है।


हादसे का पूरा घटनाक्रम: एक रेस और उजड़ गया बस्तर का घर

निखिल बस्तर के पूर्व सांसद दिनेश कश्यप का सबसे छोटा बेटा था। बुधवार सुबह दोस्तों के साथ बाइक से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की ओर निकला था। शुरुआत में बाइक उसका दोस्त चला रहा था, लेकिन नवा रायपुर पहुंचते ही निखिल ने खुद हैंडल थाम लिया — और यहीं से शुरू हुआ स्पीड का खतरनाक खेल।

सत्य साईं अस्पताल के पास एक तीव्र मोड़ पर बाइक स्लिप हो गई। टक्कर इतनी तेज थी कि निखिल बाइक से करीब 150 मीटर और उसका साथी 200 मीटर दूर जा गिरा। सिर में गंभीर चोट लगने से निखिल की मौके पर ही मौत हो गई।


हाईस्पीड जोन बना नवा रायपुर: ढाई साल में 70 हादसे, 21 मौतें

पुलिस रिपोर्ट बताती है कि नवा रायपुर अब महज ‘स्मार्ट सिटी’ नहीं, बल्कि रफ्तार के दीवानों का नया ट्रैक बन गया है। बीते ढाई वर्षों में 70 से ज्यादा सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें 21 लोगों की जान गई और 68 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इन सड़कों पर वाहनों की गति इतनी तेज होती है कि ओवरटर्न या ब्रेक फेल होते ही हादसे टलना नामुमकिन हो जाता है।

कैमरे लगे हैं, पर स्पीड थमी नहीं

नवा रायपुर की 10 मुख्य सड़कों पर पुलिस ने 40 हाई-स्पीड कैमरे लगाए हैं, लेकिन हादसों पर लगाम नहीं लगी। पिछले 6 महीनों में 8312 गाड़ियों का चालान हुआ और 36 लाख का जुर्माना वसूला गया है, फिर भी रफ्तार की रेस जारी है।


रात 12 से सुबह 4 बजे: मौत की खिड़की खुली रहती है

पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश हादसे रात 12 से सुबह 4 बजे के बीच होते हैं, जब ट्रैफिक न के बराबर होता है और युवा तेज रफ्तार का फायदा उठाने निकलते हैं। खाली सड़कों और चौड़ी लेन पर युवाओं का समूह बाइक रेस को ‘एडवेंचर’ मान बैठता है, लेकिन यह ‘एडवेंचर’ अक्सर हादसे में बदल जाता है।


सीनियर अफसर पहुंचे मौके पर, फिर भी सवाल कायम

हादसे की खबर मिलते ही वन मंत्री केदार कश्यप और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया। लेकिन सवाल बना हुआ है — जब हाई-स्पीड से जुड़े खतरे सामने हैं, तो कार्रवाई सिर्फ चालान तक ही सीमित क्यों है?


एक्सपर्ट्स की राय: रोड सेफ्टी को लेकर बड़े कदम जरूरी

ट्रैफिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सिर्फ चालान काटने से हादसे नहीं रुकते। नवा रायपुर में खासकर स्पीड ब्रेकर, ऑटोमैटिक बैरिकेडिंग सिस्टम और ट्रैफिक पुलिस की रात में मौजूदगी अनिवार्य है। रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगा तो अगली खबर किसी और घर के उजड़ने की होगी।

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