11 साल की मेहनत और करोड़ों की लागत के बावजूद राज्य सरकार को बड़ा झटका, अब असली जंगली वनभैंस की खोज फिर शुरू!

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जंगल सफारी में 7 साल से बाड़े में पल रही दीपआशा मादा वनभैंस की क्लोन नहीं है। ये खुलासा सीसीएमबी हैदराबाद की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक जिस प्रोसेस के तहत उदंती सीतानदी की मादा वनभैंस आशा से क्लोन तैयार किया गया, उससे वनभैंस की जेरॉक्स कॉपी पैदा नहीं हो सकती।

इस रिपोर्ट के आने से वन विभाग का अमला सकते में है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में राजकीय पशु वनभैंस ही विलुप्ती की कगार पर है। वनभैंस की नस्ल बढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश में कथित तौर पर इकलौती बची मादा वनभैंस आशा का सैंपल लेकर डेयरी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल भेजकर क्लोन पैदा किया गया था।

2012-13 में उसे पैदा करने की साइंटिफिक प्रक्रिया में करीब 1 करोड़ और बाड़ा बनाने में करीब दो करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद 11 साल का लंबा इंतजार और खर्च किए गए पैसे व प्रयास सब व्यर्थ चले गए हैं।

दरअसल, वन विभाग ने 11 साल पहले दुनिया की पहली वनभैंसा का क्लोन पैदा का निर्णय लिया। उसके बाद उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की वन भैंस आशा के सीमेटिक सेल कल्चर और दिल्ली के बूचड़खाने की देसी भैंस के अंडाशय से क्लोन की तकनीकी से दिसंबर 2014 को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट करनाल में क्लोन पैदा हुआ।

करनाल से 28 अगस्त 2018 को दीपआशा जंगल सफारी नवा रायपुर लाई गई। उसे यहां लाने के बाद से ही जंगली होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वनभैंस की प्रमुख पहचान उसके सींग होती है। दीपआशा की सींग ही छोटे हैं। हैरानी की बात है कि दीपआशा को लाने दो विशेषज्ञों डा. जयकिशोर जडिया और वीके चंदन को करनाल भेजा गया था।

डीएनए, खून का सैंपल लेकर गए पर रिपोर्ट नहीं भेजी

दीपआशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंसा? ये खुलासा करने डीएनए सैंपल कुछ साल पहले सीसीएमबी हैदराबाद और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून भेजा गया, पर रिपोर्ट नहीं आई। 2023 में तो हैदराबाद से डा. संभा शिव राव खुद आए। वे ब्लड का सैंपल लेकर गए लेकिन रिपोर्ट नहीं भेजी।

चर्चा है कि पोल खुलने के डर से वन विभाग ने रिपोर्ट रुकवा रखी है। नितिन सिंघवी सहित कई वन्य प्रेमियों के दबाव के चलते डीएनए रिपोर्ट बुलाने की जगह मार्च 2025 में सीसीएमबी हैदराबाद से पूछा कि क्या तकनीकी रूप से जंगली भैंस की क्लोनिंग विधि से जेरॉक्स बनाना संभव है, जहां क्लोनिंग के लिए अंडाशय और अंडाणु बूचड़खाने से प्राप्त किए जाते हैं?

वहीं से रिपोर्ट आई और खुलासा हुआ कि जेरॉक्स कॉपी पैदा नहीं हो सकती है। दीपआशा को कैद से मुक्त कराने के लिए वर्षों से संघर्षरत सिंघवी ने प्रश्न किया है कि दीपआशा दिखने में ही मुर्रा भैंस है तो उसे बंधक बनाकर क्यों रखा गया है?

ये डीएनए रिपोर्ट नहीं ये डीएनए रिपोर्ट नहीं है। रिपोर्ट के बिंदु बेहद तकनीकी है। फिलहाल इतना ही कह सकता हूं कि हैदाराबाद से केवल ये रिपोर्ट आई है कि दीपआशा उदंती सीतानदी की मादा वन भैंस आशा का क्लोन नहीं हो सकती है। डीएनए टेस्ट में खुलासा होगा कि ये वनभैंस का क्लोन है या नहीं। डीएनए टेस्ट के लिए रिमाइंडर भेजा गया है

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