खेत में अचानक बना 20 फीट गहरा गड्ढा! पानी की हिलोरों से सहमे ग्रामीण, दहशत का माहौल!

Spread the love

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में बस्ती और तालाब के बीच हिंगलाज देवांगन के खेत में सुबह 11:00 बजे के आसपास अचानक खेत में जमीन धंसी दिखी। यह पूरा मामला ग्राम कसहीकलां का है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गड्ढा लगभग 15 फीट लंबा व 15 फीट चौड़ा है। कुछ लोगों ने बांस डालकर गहराई देखी तो 20 फीट से अधिक लंबा बांस तल तक नहीं पहुंचा। दूर से देखने पर अंदर पानी उबाल मार रहा था। सरपंच ममता साहू ने बताया कि, खेत की मिट्टी 20 फीट से अधिक धंस गई है।
आसपास के ग्रामीण गड्ढे को देखने पहुंचे
घटनास्थल पर ग्रामीणों की भारी भीड़ लगी हुई थी। आसपास के ग्राम पापरा, बुंदेली, फरदडीह, पिरीद, भेंगारी, घीना, लासाटोला के ग्रामीण खगोलीय घटना को देखने सैकड़ो की संख्या में पहुंचने लगे। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर सुरेगांव गांव पुलिस पहुंचकर गड्ढा के आसपास लाल रिबन से घेराबंदी कर पुलिस जवान तैनात किए गए। पूरे क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र बनाया गया है।

तालाब का पानी रातो-रात सुरंग में समाया
वहीं 18 जुलाई, शुक्रवार को बिलासपुर से एक रहस्यमयी प्राकृतिक घटना से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था। पिछले सप्ताह लगातार हुई बारिश के बाद गांव का वर्षों पुराना तालाब लबालब भर गया था, लेकिन एक ही रात में पूरा तालाब अचानक खाली हो गया। गांववालों की मानें तो रात भर में तालाब का पानी एक सुरंग नुमा गड्ढे में समा गया। यह देखकर लोगों में डर का माहौल बन गया था। विशेषज्ञों ने इसे भू-गर्भीय प्रक्रिया का सामान्य उदाहरण बताया था। यह पूरा मामला कोटा ब्लॉक के बरद्वार गांव का है।

तालाब के किनारे एक बड़ा गड्ढा
बरद्वार गांव में बीते बुधवार सुबह तालाब पानी से भरा था, लेकिन दोपहर में ग्रामीणों ने देखा कि तालाब के किनारे पर एक बड़ा गड्ढा बन गया है और उसका पानी तेजी से उसमें समा रहा है। कुछ ही घंटों में पूरा तालाब सूख गया। गांव के निवासी रामधनी यादव ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी ऐसा दृश्य नहीं देखा। बुजुर्गों का कहना है कि, बरद्वार गांव में कभी इस तरह की घटना नहीं घटी थी।

इस घटना से ग्रामीणों में डर का माहौल
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने पंचायत और तहसील प्रशासन को सूचित किया और भू-वैज्ञानिकों की टीम बुलाने की मांग की है। हालांकि, प्रशासन की ओर से कोई टीम मौके पर नहीं पहुंची थी। तालाब का पानी अचानक जमीन में समा जाने से ग्रामीण डरे हुए हैं। लोग बच्चों को तालाब की ओर जाने से मना कर रहे हैं। वहीं, किसानों को अपने खेत और मकानों की चिंता सताने लगी है।

पानी का जमीन में समा जाना है सामान्य
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सिंकहोल (Sinkhole) की सामान्य भू-वैज्ञानिक प्रक्रिया है। बारिश के मौसम में जब पानी चट्टानों के नीचे मौजूद खाली जगहों में पहुंचता है, तो मिट्टी और अवशेष बह जाते हैं और पानी जमीन के भीतर समा जाता है। ऐसे घटनाक्रम आमतौर पर चट्टानी और जल अपक्षय वाले इलाकों में देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों ने ग्रामीणों से घबराने के बजाय सावधानी बरतने की सलाह दी है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *